देवघर(DEOGHAR) - धनतेरस के ठीक दो दिन बाद दीपोत्सव मनाया जाता है. जानकारों के अनुसार जब पूरे ब्रह्मांड में अंधेरा छा गया था और महामाया महाकाली जगदम्बा के कोप से सृष्टि चक्र समाप्ति की ओर था,पंच तत्व अपना अस्तित्व खोने लगा था तभी महामाया महाकाली जगदम्बा के कोप को समाप्त करने के लिए भगवान शिव ने शवाशन लगा कर देवी के प्रकोप से सृष्टि को मुक्त करने का निर्णय लिया. शिव और शक्ति के इसी मिलन से सृष्टि के पुनर्निर्माण की शुरुआत हुई. अंधकार से निकल कर प्रकाश की ओर अग्रसर हुई सृष्टि की इसी दशा का दीप जला कर आविर्भाव किया जाता है. जिसके कारण ही दीपावली पर दीप जला कर खुशियां मनाई जाती है. इस दिन दीप सभी को अंधकार से रौशनी की ओर आगे बढ़ते रहने का संदेश देता है.

स्थिर लगन में करें कुबेर की पूजा, स्थाई रूप से लक्ष्मी रहेगी साथ

धन को चंचला खा जाता हैं, धन किसी के भी पास स्थिरता से नहीं रहती. अगर आज धन हैं तो कल चला भी जायेगा, लेकिन अगर आप धन लाभ के साथ-साथ अपने जीवन में धन की स्थिरता चाहते हैं तो इस शुभ-मुहूर्त में पूजा करें. इस दिवाली सभी गृहणी और व्यापारी स्थिर लगन में पूजा करे जिससे आपके घर और व्यापार में कभी भी धन की कमी न हो. बता दे कि स्थिर लगन के 3 शुभ मुहूर्त होते हैं जिसमे कुम्भ,  वृषभ और सिंह लगन में पूजा करने से ऐसी मान्यता हैं कि लक्ष्मी आपके पास स्थाई रूप से रहती हैं.

इस दिवाली करें निषेश चरु हवन

तो इस दिवाली एक विशेष तरीके से हवन कर लक्ष्मी और गणेश जी को प्रसन्न करे. इस खास दिवाली पर आप चरु हवन कर लक्ष्मी गणेश के साथ कुबेर को प्रसन्न करें जिससे साल भर आपके घर धन और धान्य की वर्षा होगी. इस चरू हवन के लिए चावल और गाय के दूध से खीर तैयार कर उसमें शुद्ध घी मिलाये और उससे हवन कर पूजन करे.

रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर