धनबाद(DHANBAD) : आज नोटबन्दी की पांचवी वर्षगांठ है. आज ही के दिन 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1000 और 500 रुपए के नोट हमेशा के लिए बंद कर दिए थे और उसकी वैधता समाप्त करते हुए उसे रद्दी घोषित कर दिया था. नोटबंदी के इन 5 वर्षोंं में व्यवस्था कितनी बदली,  हम लोग कितने बदले, बैंकों की प्रणाली कितनी बदली और हमने क्या पाया और क्या खोया, इस पर चर्चा होनी ही चाहिए. इस दौरान डिजिटल भुगतान के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं तो नोटों का प्रचलन भी 60 से 65 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है. आरबीआई का ताज़ा आंकड़ा तो कुछ यही बता रहा है. आरबीआई के अनुसार डिजिटल भुगतान के आंकड़े बढ़ने के बावजूद चलन में नोटों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज हो रही है.

सबके अपने अपने तर्क ,महामारी में नगदी से ही बची जान

इसके पीछे सबके अपने-अपने तर्क हैं, सरकारी आंकड़ों के अनुसार डेबिट,  क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस जैसे माध्यमों से डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी जरूर हुई है. बावजूद चलन में नोटों की वृद्धि भी जारी है. एटीएम से लेन-देन बढ़ा, इसके पीछे सबके अपने-अपने तर्क हैं लेकिन एक बात तो सच है कि घरों में नगदी ही रखकर कोविड काल के दौरान लोगों ने अपनी जान बचाई, वह दिन याद कर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. कैसे लंबी लंबी लाइन में लगकर लोगों ने पुराने नोट जमा किए. एटीएम में पैसे नहीं थे, बैंकों की जो हालत थी वह कहने लायक नहीं थी, कई बैंकों में पैसे खत्म हो गए थे. लोगों ने जान बचाने के लिए दोस्त और परिचितों से कर्ज लेकर अपना घर चलाया,  दवा खरीदी, इलाज कराया. उस वक्त बुजुर्गो की बात सच हुई कि जो धन पास में है उसी को अपना समझो. उसके बाद तो ऐसा लगता है कि लोगों का नगदी नोटों पर विश्वास ज्यादा बढ़ गया है और नोटों का प्रचलन धीमी होने के बजाय तेजी से बढ़ता जा रहा है.  

क्या कहते हैं आरबीआई के ताजे आंकड़े

अगर हम आरबीआई के ताजा आंकड़ों की बात करें तो 4 नवंबर 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपए के नोट चलन में थे, जो 29 अक्टूबर 2021 को बढ़कर 29.17 लाख करोड़ हो गए. इसका मतलब है कि 5 साल में इसमें लगभग 11.43 लाख करोड़ रुपए यानी 64.43%की वृद्धि हुई. नोटबन्दी को लेकर कोयलांचल धनबाद के लोगों की अलग अलग राय है. कोई इसे देश हित में अच्छा तो कोई इसे अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से खराब बता रहा है. हालांकि, भाजपा विधायक राज सिन्हा जहां नोटबन्दी को सही कदम बता रहें हैं. वही कांग्रेस नेता सह इंटक के प्रदेश महामंत्री एके झा ने इस कदम को भाजपा द्वारा पूंजीपतियों को फ़ायदा पहुंचाने वाला बताया. धनबाद के हीरापुर एसबीआई बैंक के शाखा उप प्रबंधक धनंजय कुमार ने बताया कि नोटबन्दी में बैंक कर्मियों ने जिस तरह रात दिन एक कर देश की सेवा की, उनके कार्यों को देखते हुए सैनिकों की तरह राष्ट्र योद्धा की संज्ञा दी गई थी.

रिपोर्ट: अभिषेक कुमार सिंह ,ब्यूरो हेड(धनबाद)