धनबाद (DHANBAD: स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट में धनबाद वहीं खड़ा है, जहां पिछले साल था. 2020 में भी धनबाद को 33वां रैंक मिला था और इस वर्ष 2021 में भी 33 वां रैंक से ही संतोष करना पड़ा है. हालांकि, थोड़ा उत्साहजनक बात यह है कि राज्य में जिलों की रैंकिंग में धनबाद पहले पायदान पर है. धनबाद को जहां 25वां रैंक मिला है, वही रांची को 123वें, बोकारो को 243वें और जमशेदपुर को 120वें रैंक से संतोष करना पड़ा है.
2 लाख 85 हज़ार 935 लोगों ने फीडबैक दिया
मिली जानकारी के अनुसार, धनबाद शहर को बेहतर रैंकिंग के लिए 2 लाख 85 हज़ार 935 लोगों ने अपना फीडबैक दिया था. शहरी विकास मंत्रालय ने इस बार कुल 43,320 शहरों का स्वच्छता सर्वेक्षण कराया था. जिसमें कई कमियों के कारण इस बार धनबाद ऊपर के पायदान पर नहीं पहुंच पाया. इन में चार प्रमुख कारण गिनाए जा रहे है.
अंक कम रहने के चार कारण
धनबाद नगर निगम में कुल 55 वार्ड हैं. लगभग सभी वार्डों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन तो शुरू हुआ लेकिन कचरा का प्रोसेसिंग अब तक शुरू नहीं हुआ है. वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के लिए जहां भी जमीन चिन्हित की गई, वहीं विवाद शुरू हो गया. दूसरी सबसे बड़ी वजह यह बताई जाती है कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के अभाव की तरह शहर में अब तक सीवरेज एवं ड्रेनेज सिस्टम पर काम नहीं हुआ है. दो-तीन साल पहले सीवरेज और ड्रेनेज पर सर्वे जरूर हुआ था लेकिन यहां भी जमीन बाधक बन गई. तीसरी वजह यह गिनाई जा रही है कि वॉटर रीसाइक्लिंग का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है. अब तक धनबाद के राजेंद्र सरोवर में ही वाटर ट्रीटमेंट प्लांट एसटीपी बैठाया गया है, जबकि अन्य तालाबों में लगाने की योजना फाइलों में उलझकर रह गई है. चौथी वजह गिनाई जा रही है कि निगम द्वारा थ्री स्टार गार्बेज फ्री सिटी का दावा अब तक खोखला साबित हुआ है.
जानिए आंकड़ो के नज़रिये से धनबाद की रैंकिंग
2016 में धनबाद को सबसे अंतिम पायदान पर 73वां रैंक मिला था, यानि पूरे देश में सबसे गंदे शहर का तमगा धनबाद को मिला था. हालांकि, इस दाग को धोते हुए एक साल बाद 2017 में रैंकिंग सुधार करते हुए 109वां पर पहुंच गया. 2018 में 53वां, 2019 में 56वां, 2020 में 33वां और फिर 2021 में पुनः 33वां रैंक मिला है. हालांकि, धनबाद नगर आयुक्त सतेंद्र कुमार का दावा है कि सीमित संसाधनों में धनबाद नगर निगम की टीम ने बेहतर काम किया है और अगले साल धनबाद को टॉप 20 के रैंक तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर टीम काम करेगी.
2010 में पहली बार धनबाद में नगर निगम का हुआ गठन
विदित हो कि 2010 में पहली बार धनबाद में नगर निगम का गठन हुआ. पहली मेयर बनी श्रीमती इंदु देवी, उसके बाद 2015 में चुनाव हुआ तो मेयर बने चंद्रशेखर अग्रवाल उर्फ शेखर अग्रवाल. अभी कार्यकाल पूरा होने के कारण निगम बोर्ड विघटित है और पूरी तरह से प्रशासनिक और वितीय व्यवस्था नगर आयुक्त के जिम्मे है. 2010 के पहले धनबाद में नगर पालिका थी जो ब्रिटिशकाल से ही कार्यरत थी, जो अब शताब्दी वर्ष पूरा करने वाली है.
रिपोर्ट: अभिषेक कुमार सिंह, ब्युरो हेड(धनबाद)
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