चाईबासा (CHAIBASA) - आंध्र प्रदेश से झारखण्ड के बंधुआ मजदूरों की एक तस्वीर आयी है. काम दिलाने के नाम पर मजदूरों के शोषण करने का मामला सामने आया है. मजदूरों को कहा गया था कि उन्हें अच्छा काम और पैसा मिलेगा. इस लालच में पश्चिम सिंहभूम जिले के कई मजदूर जब वहां गए तो उन्हें एक द्वीप में बंधुआ मजदूर बनाकर 24 घंटे काम लिया जा रहा है और उन्हें घर नहीं जाने दिया जा रहा है.

बंधक बनाकर मजदूरों से लिया जाता है काम

तस्वीरें आन्ध्र प्रदेश के करनूल जिले की है. यहां कृष्णा नदी में मजदूरों को बंधक बनाकर काम लिया जा रहा है. कृष्णा नदी के इश आइलैंड में झारखण्ड के पश्चिम सिंभूम जिले के टोंटो प्रखंड के निमडीह गांव के तक़रीबन 16 मजदूर बंधक बने हुए हैं. 24 घंटे खटने के बाद इन्हें ठीक से खाना भी नहीं दिया जा रहा है. अगर ये लोग काम छोड़कर वापस अपने घर लौटना भी चाहते हैं तो इन्हें छोड़ा नहीं जा रहा है. दिन रात इनसे काम लिया जा रहा है. लगातार काम करने से इन लोगों की हालत ख़राब हो गयी, स्वास्थ्य भी कई मजदूरों का ख़राब है.

आइलैंड में फंसे थे बैजनाथ बालमुचू

आइलैंड में फंसे बैजनाथ बालमुचू का कहना है कि उनको बेहतर काम और मजदूरी का लालच देकर ठेकेदार रमेश ने घर से आंध्र प्रदेश लेकर गए थे. लेकिन जब उन्होंने काम शुरू किया और उनके साथ शोषण तब उन्हें पता चला कि उनको बंधुआ मजदूर बना लिया गया है. यहां 24 घंटे काम करना पड़ रहा है लेकिन एक वक्त ही खाना मिलता है. मजदूरी भी नहीं दी जा रही है. बैजनाथ ने सीएम हेमंत सोरेन से मदद की गुहार लगायी है और प्रार्थना की है कि उन्हें जल्द से जल्द इश आइलैंड से मुक्त कराकर वापस झारखण्ड ले जाया जाए.

रोजगार या धोखा

इधर इस मामले को मजदूर नेता जॉन मीरन मुंडा ने गंभीरता से लिया है. उन्होंने झारखण्ड सरकार से अपील की है कि इन बंधुआ मजदूरों को जल्द से जल्द द्वीप से सुरक्षित बाहर निकाला जाए. जॉन ने कहा कि झारखण्ड सरकार अपने राज्य के लोगों को रोजगार दिलाने में फिसड्डी साबित हुई, यही इसका प्रमाण है. हेमंत सरकार रोजगार का लालच देकर सत्ता में आयी लेकिन सत्ता बदलने के बाद भी बेरोगारों का शोषण जारी है.

रिपोर्ट : जय कुमार, चाईबासा