पाकुड़(PAKUR)- जिले के पाकुड़िया सहित मोंगलाबान्ध, फुलझींझरी, बन्नोग्राम, चौकिसाल, परुलिया, रामदेवकुंडी आदि दर्जनों गांवो  में पारंपरिक श्रद्धा और उल्लास के साथ जिउतिया पर्व मनाया गया. माताओं ने स्नान ध्यान के बाद व्रत की कथा सुनी और अपने पुत्रों के दीर्घायु की कामना की. दरअसल, एक मां पुत्रों के कल्याण के लिए कितना त्याग करती है, इसका उदाहरण है जिउतिया पर्व. यह पर्व एक चील और सियारिन की कथा पर अधारित है. पुत्र के दीर्घायु के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत का पर्व मनाया जाता है.

आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है जिउतिया का र्पव

हिंदू समाज में जिउतिया अर्थात जीवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व माना गया है. स्थानीय पंडितों की माने तो जीवित्पुत्रिका व्रत माताएं अपनी संतान की सुरक्षा, स्वस्थ, सुखी और दीर्घायु होने के लिए करती रही हैं. वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार यह व्रत आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. जिउतिया में फलों का प्रसाद चढ़ाने की परंपरा रही है. जिसके कारण बीते दिन पाकुड़िया बाजार में काफी भीड़ देखने को मिली. इसके अलावा व्रती महिलाओं ने बताया कि संतान के लिए जिउतिया सबसे उत्तम पर्व है.

रिपोर्ट:मोहम्मद आसिफ,पाकुड़िया(पाकुड़)