धनबाद (DHANBAD) : झारखंड का मुख्यमंत्री चाहे कोई हो ,धनबाद का डीसी चाहे कोई हो ,धनबाद का जिला शिक्षा अधीक्षक या जिला शिक्षा पदाधिकारी कोई हो, धनबाद में संचालित निजी स्कूल के संचालक इनके आदेश की तनिक भी परवाह नहीं करते हैं. यह बातें हम नहीं कह रहे ,बल्कि यह सीधा आरोप यहां के अभिभावकों का है, लेकिन बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए स्कूल संचालकों के खिलाफ बोलने से परहेज करते हैं. अभी-अभी ताजा मामला कोरोना काल के फीस को लेकर उठा है. हालांकि, बात हमेशा से उठती रही है लेकिन स्कूल संचालक करते वही हैं, जो उनके जी में आता है. क्योंकि, अभी तक आदेश नहीं मानने वाले स्कूल संचालकों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. इसलिए भी वे शिक्षा विभाग के आदेश के प्रति लापरवाह रहते हैं. 

स्कूल संचालको संग शिक्षा अधिकारियो की हुई डीपीएस में बैठक

कोविड काल में फीस पर उठे विवाद को निपटाने के लिए धनबाद के दिल्ली पब्लिक स्कूल में सोमवार को शिक्षा विभाग के अधिकारियों और धनबाद के निजी स्कूल संचालकों के बीच महत्वपूर्ण बैठक हुई.  बैठक में सबने अपनी-अपनी बातें रखी. जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रबला खेस और जिला शिक्षा अधीक्षक इंद्र भूषण सिंह ने स्पष्ट किया कि निजी स्कूल सरकार के गाइडलाइन्स के अनुसार वार्षिक फीस नहीं ले सकता है, केवल ट्यूशन फीस ही लिया जा सकता है. उन्होंने कड़े लहजे में स्कूल संचालकों को कह दिया कि अगर वे इस आदेश की अनदेखी करते हैं तो स्कूल की मान्यता रोक दी जाएगी.  बैठक में लगभग 60 स्कूलों के संचालक व प्राचार्य शामिल हुए. शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने साफ कहा कि 25 जून 2020 को सरकार द्वारा निर्गत आदेश का अभी तक कोई संशोधन नहीं आया है, इसलिए वह आदेश आज की तारीख में भी प्रभावी है और निजी स्कूलों को हर हाल में उस आदेश को मानना पड़ेगा. इस आदेश में कहा गया है कि वार्षिक फीस निजी स्कूलों को नहीं लेना है.

सरकारी संस्था वाले छूट के हकदार नहीं

जिला शिक्षा अधीक्षक ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी स्कूल किसी ऐसे अभिभावक जिनकी आर्थिक स्थिति करोना काल में कमजोर हो गई है, उन पर मासिक फीस के लिए भी दबाव नहीं बना सकता. हालांकि, स्कूल प्रबंधन चाहे तो अभिभावकों की काउंसलिंग कर और अपनी वित्तीय स्थिति का हवाला देकर उन्हें फीस देने के लिए तैयार कर सकता है. सरकारी संस्थानों में काम करने वाला कोई भी अभिभावक इस छूट का हकदार नहीं होगा. साथ ही यह भी कहा कि उन कक्षाओं के बच्चों के अभिभावक से वार्षिक फीस नहीं लिया जा सकता, जो अभी स्कूल नहीं आ रहे हैं, लेकिन जो स्कूल आ रहे हैं उनसे उतने समय की फीस ली जा सकती है. बैठक में अभिभावक संघ के प्रतिनिधि शामिल नहीं थे. इधर सहोदय स्कूल धनबाद चैप्टर के चेयरमैन सह डीएवी पब्लिक स्कूल कोयलानगर के प्राचार्य एनएन  श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रांक 1006 सत्र 20-21 के लिए ही था. अगर शुल्क वापस करने का हाईकोर्ट का आदेश आएगा तो ली गई फीस एडजस्ट कर दी जाएगी. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार भी निजी स्कूल के संचालक अपनी बातों पर अड़े रहते हैं अथवा शिक्षा विभाग के आदेश पर अमल भी करते हैं. इस मामले में झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष कैप्टन प्रदीप शाह ने बताया कि अगर निजी स्कूल सरकार के आदेश को नहीं मानते हैं तो वे इसके खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे.

रिपोर्ट: अभिषेक कुमार सिंह ,ब्यूरो हेड (धनबाद)