सरायकेला(SARAIKELA): इस आधुनिक युग में भी डायन प्रथा की कुरीतियां सुदूरवर्ती क्षेत्रों में व्याप्त है. सरायकेला जिला की बात करें तो यहां के भी शहरी आबादी से दूर-सुदूरवर्ती क्षेत्र में आए दिन डायन प्रथा कुरीति से जुड़े मामले सामने आते हैं. जिस जिले में डायन प्रथा के खिलाफ जागरूकता का अलख जगा रही छुटनी महतो को पद्मश्री के लिए नामित किया गया है. वहां भी ऐसी बात सामने आना बेहद शर्मनाक है. पूरी स्थिति के बीच जिला प्रशासन ने इस कुप्रथा को जड़ से मिटाने को लेकर अभियान शुरू किया है. इस बाबत समाहरणालय परिसर से डायन प्रथा उन्मूलन जागरूकता रथ रवाना किया गया. डीसी अरवा राजकमल, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा समेत कई पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर दो जागरूकता रथ को रवाना किया. यह दोनों रथ जिले के दो अनुमंडल सरायकेला तथा चांडिल में भ्रमण कर लोगों को डायन प्रथा कुरीति के खिलाफ जागरूक करेंगी. इस बारे में जानकारी देते हुए डीसी राजकमल ने बताया कि यह काफी दुखद है कि इस आधुनिक समाज में भी अभी डायन कुप्रथा प्रचलित है.
जागरूकता रथ को किया गया रवाना
अक्सर जमीन विवाद में तथा अकेली किसी वृद्ध महिला के गांव में होने पर डायन का आरोप लगाकर प्रताड़ित किया जा रहा है. जो काफी गलत है. इसी के खिलाफ जागरूकता को लेकर जागरूकता रथ को रवाना किया गया है. यह जागरूकता रथ सभी प्रखंडों में तीन-तीन दिन भ्रमण करेगी और लोगों को जागरूक करेगी. इस दौरान डायन प्रथा के खिलाफ गोष्ठी का भी आयोजन किया जाएगा और लोगों को डायन प्रथा के खिलाफ कानून के बारे में जानकारी दी जाएगी. डीसी ने बताया कि डायन प्रताड़ना निषेध अधिनियम 2001 के तहत डायन कहने या उसे प्रताड़ित करने पर 3 महीने से लेकर 1 साल तक की सजा का प्रावधान है तथा जुर्माने का भी प्रावधान है. ऐसे में अगर कहीं से डायन कह कर प्रताड़ना का मामला सामने आता है तो प्रशासन उसके खिलाफ़ कड़ी कानूनी कार्रवाई करेगी. उन्होंने लोगों से भी अपील करते हुए कहा कि आम लोग भी डायन कुप्रथा को मिटाने के लिए आगे आए. अगर समाज में अगर ऐसी कहीं बातें सामने आती है तो डायल 100 पर फोन कर अपनी सामाजिक भागीदारी निभाएं.
रिपोर्ट: विकास कुमार, सरायकेला
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