धनबाद(DHANBAD): बीसीसीएल के एरिया महाप्रबंधकों को अब कोयला चोरों के पीछे दौड़ना होगा.  सीआईएसएफ  को टाइट करना होगा.  पुलिस और प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर काम करना होगा.  तभी उनकी नौकरी बचेगी अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.  सवाल यह भी बड़ा है कि आखिर यह सब अभी करने की क्यों जरूरत पड़ गई? क्या बीसीसीएल मैनेजमेंट को नहीं मालूम है कि उसके क्षेत्राधिकार में जितना कोयले  का उत्पादन होता है, लगभग उतना ही कोयला चोरी कर लिया जाता है.  देखना दिलचस्प होगा कि मैनेजमेंट के इस सख्त  चेतावनी  के बाद भी कोयला चोरी में कमी आती है या सब पहले की तरह चलता रहता है. धनबाद कोयला चोरी के लिए कुख्यात  हो गया है. 

 सूत्र बताते हैं कि कोलियरियों से जितना कोयले का उत्पादन होता है, लगभग उतना ही कोयला चोरों के हाथ जाता है.  वैसे तो कोल इंडिया स्तर पर उत्पादन घटने से बेचैनी है और उत्पादन बढ़ाने के तरकीब निकाले  जा रहे है.  कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया की सबसे बड़ी इकाई बीसीसीएल भी इसे अछूती नहीं है.  जनवरी महीने में बीसीसीएल का प्रोडक्शन ग्राफ संतोषजनक नहीं है.  जनवरी महीने का उत्पादन लक्ष्य था 4.2 मिलियन टन  जबकि उत्पादन हुआ है 3.6 मिलियन टन , वैसे आंकड़े के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में जनवरी तक बीसीसीएल का कुल उत्पादन 32.80 मिलियन टन  है.  2 महीने में वार्षिक लक्ष्य को पाने के लिए बीसीसीएल को 45 मिलियन टन कोयले  का उत्पादन करना होगा.  जो कि  संभव नहीं लेकिन कठिन जरूर लग रहा है. 

 इधर, सूत्र बताते हैं कि सोमवार को बीसीसीएल मुख्यालय में कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक हुई.  इस बैठक  में महत्वपूर्ण मुद्दा यह रहा कि  प्रोडक्शन तो बढ़ाना  ही है.  साथ ही साथ कोयला चोरी रोकना भी जरूरी है.  अधिकारियों को सख्त हिदायत  दी गई कि  समन्वय स्थापित कर कोयला चोरी को तत्काल प्रभाव से रोके.  अगर ऐसा नहीं हुआ तो कई अधिकारी नप भी सकते है.  कोयला चोरी रोकने के लिए जिला प्रशासन एवं पुलिस के साथ कोऑर्डिनेशन स्थापित कर काम करने को कहा गया.  जो एरिया कोयला चोरी के लिए बदनाम है, उनके महाप्रबंधक खासतौर पर ऑर्डिनेशन कमेटी में निशाने पर रहे.  सूत्रों के अनुसार महाप्रबंधकों को कहा गया कि जहां भी कोयला चोरी की सूचना मिलती है, तुरंत प्रशासन को खबर करे.  इलाके के सीओ के साथ बैठक अनिवार्य रूप से करे. 

 बताया जाता है कि हाल के कुछ महीनो में स्थानीय प्रशासन के साथ बीसीसीएल क्षेत्रीय प्रबंधन की बैठक नहीं हुई है.  विधानसभा चुनाव के समय से ही नियमित बैठक नहीं हो रही है.  सीआईएसएफ की तैनाती पर भी फोकस किया गया.  मतलब साफ है कि जब तक उत्पादन बढ़ रहा था, तब तक मैनेजमेंट को कोयला चोरी पर ध्यान नहीं था.  लेकिन अब जब टारगेट पूरा होने में संदेह दिख रहा है, प्रबंधन सख्त रुख  अख्तियार किए हुए है.  एरिया महाप्रबंधकों को अब कोयला उत्पादन के साथ-साथ कोयला चोरों की भी प्रत्यक्ष अथवा अ प्रत्यक्ष ढंग रखवाली करनी होगी.  अन्यथा उनकी नौकरी पर भी खतरा पैदा हो सकता है.

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो