साहिबगंज(SAHIBGANJ):एक ओर हमारे देश भारत को विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को मेक इन इंडिया,बुलेटट्रेन, स्टार्ट अप इंडिया व स्मार्ट सिटी सहि त कई अन्य विषयों पर ध्यान दे रही है और आगे बढ़ रही है,लेकिन जमीनी हकीकत जानने के लिए गां व की तस्वीर से रूबरू होना भी आवश्यक है.आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी पहाड़ पर बसे इस गांव के आदिम जनजाति के लोगों को आज भी बिजली पानी और सड़क का लाभ नहीं मिल सका है.वही दिल को झकझोर करने वाली यह ताजा माम ला तालझारी प्रखंड क्षेत्र के करम पुरातो पंचायत पर स्तिथ प्राकृतिक की गोद में बसे एक छोटे-से गांव का है जिसे लोग डांगा पहाड़ के नाम से जानते है इस गांव में बसने वाले 30 से 35 घरों के परिवार के आबादी करीब 100 से 150 से ऊपर है लेकिन आज भी गांव के लोग ढिबरी व लालटेन के सहारे जीने को मजबूर हैं,वहीं बिजली के साथ-साथ पानी, सड़क,स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी मूलभूत समस्या ओं से जूझ रहे हैं.जीवन के लिए सबसे जरूरी पानी है लेकिन इसी पानी को पीने के लिए पहाड़िया समुदाय के महिला ग्रामीणों व लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि हम लोग आजा दी के 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी विकास का इंतिजार कर रहे है.
ग्रामीणों ने साझा किया अपने बदनसीबी की दांस्ता
आदिम जनजाति समुदाय की महिला बमडी पहाड़िन,मैसी पहाड़िन,गंगी पहाड़िन सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल के लिए वह अहले सुबह उठकर गांव से दो किलोमीटर दूर जाकर पानी का जुगाड़ करती है.लेकिन गर्मी व कड़कड़ाती धूप के मौसम का दस्त क देते ही झरना कुआं भी पूरी तरह से सूख जाता है कुआँ के सूखने के बाद सभी पहाड़ के नीचे स्थित दुषरे गाँव से पानी लेजाकर अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं.कुआं व झरने का पानी पीने से बच्चे सहित अन्य लोग बीमार हो जाते हैं.लोगों ने बताया कि यह समस्या पिछले 75 वर्ष से है.जल स्तर नीचे चल जा ने के कारण कुआं से भी गंदा पानी निकलता है.वहीं सवाल यह उठता है कि गांव में रहने वाले इन ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिलने में और कितने वर्ष लगेंगे? यह एक बड़ी सवाल है.कुछ वर्ष पूर्व उन्हें जानकारी मिली कि झारखंड के सभी गांव में 2026 तक बिजली और पानी पहुंचाने का वादा राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया है.घोषणा के बाद उम्मीद जगी थी,लेकिन समय बीतने के साथ साथ उम्मीद भी खत्म हो गयी है.
कई वर्ष से बीमार मरीज को खाट पर टांगकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है
गाँव के ग्रामीणों ने कहा कि गांव में पक्की सड़क नहीं बल्कि कच्ची सड़क भी नहीं होने से एंबुलेंस या कोई अन्य वाहन भी नहीं आ पाते हैं.जिस कारण बीमार मरीजों को इलाज के लिए खाट पर टांगकर छह-सात लोगों के सहयोग से तीन किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग तक ले जाते हैं फिर वहां से किसी वाहन से अस्पताल ले जाते हैं.ऐसी स्थिति में कई बार बीमार व्यक्ति की स्थिति गंभीर हो जाती है.कुछ दिन पूर्व ही इलाज के लिए ले जाने के क्रम में ही एक ग्रामीण की मौत हो गयी थी.सड़क नहीं रहने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी बीमार, बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को होती है,गर्भवती माताओं को भी अस्पता ल तक ले जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.टीकाकरण के लिए सभी जगह एएनएम व स्वास्थ्य कर्मी आते हैं,लेकिन इस गांव में कभी-कभार ही कोई स्वास्थ्य कर्मी जांच के लिए आता है.पूरे गांव में स्वा स्थ्य व्यवस्था के नाम पर सरकार सिर्फ प्रचार-प्रसार कर रही है.यहां के लोगों को किसी तरह का लाभ न के बराबर ही मिलता है.
मुखिया,विधायक एवं सांसद को कई बार दे चुके हैं लिखित आवेदन
ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव के समय सभी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता गांव आकर बहुत सारे वादे करके जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद कोई नहीं आता है. ग्रामीणों ने बताया कि बिजली,पानी, सड़क, स्वास्थ्य व शिक्षा को लेकर पिछले वर्ष बोरियो विधानसभा क्षेत्र के वि धायक लोबिन हेम्ब्रम व राजमहल लोकसभा सांसद विजय हांसदा एवं सरकार आपके द्वार में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक को लिखित आवेदन सौंपने के साथ-साथ मौखिक रूप से भी अवगत कराया था,फिर भी आज तक कुछ नहीं हुआ.कहा कि आने वाले विधान सभा चुनाव में इस बार जनप्रतिनिधियों को जवाब देना होगा कि आखिर वे वादा कर भूल कैसे जाते हैं.आगे आपको बता दें कि पूर्व में भी कई गाँव की समस्याओं को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर संबंधित विभाग को कई बार मौखिक एवं लिखित रूप से अवगत करा चुका हूं,लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ है.
क्या कहते है उपायुक्त हेमंत सत्ती
साहिबगंज जिले के तालझारी प्रखंड क्षेत्र के करमपुरातो पंचायत के डांगा पहाड़ गांव में मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन गंभीर है.जो भी सुविधा प्रखंड व जिला स्तर से होगी,अविलंब ग्रामीणों को उपलब्ध कराया जाएगा.
रिपोर्ट-गोविंद ठाकुर
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