धनबाद(DHANBAD): झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर के निर्देश पर बीसीसीएल पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है. अभी तो केवल कंपनी के नाम से पंजीकृत वाहनों को ही निशाने पर लिया गया है. अब इसके बाद आउटसोर्स कंपनियों में चल रहे भारी वाहन भी प्रशासनिक कार्रवाई की जद में आएंगे. सूत्रों के अनुसार बीसीसीएल के नाम से रजिस्टर्ड लगभग 1800 वाहनों का रजिस्ट्रेशन फेल है. इसके अलावा रोड टैक्स का भुगतान नहीं किया गया है. बावजूद यह वाहन बीसीसीएल के काम में लगे है. धनबाद जिला परिवहन विभाग ने बीसीसीएल मैनेजमेंट को नोटिस भेजा है और स्पष्टीकरण देने को कहा है. बताया जाता है कि जिला परिवहन पदाधिकारी ने बीसीसीएल के सीएमडी को पत्र भेजा है. पत्र में कहा गया है कि ऑनलाइन वाहन पोर्टल के अनुसार बीसीसीएल के नाम से लगभग 1800 वाहन निबंधित है. इन वाहनों में अधिकांश का रोड टैक्स अपडेट नहीं है. इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है. इनमें से कई वाहनों का बीमा एवं फिटनेस भी फेल है. यह गंभीर मामला है. वैसे 10 मार्च को स्पष्टीकरण देने को कहा गया है कि क्यों नहीं करवाई की जाए?
झारखंड के वित्त मंत्री ने धनबाद में क्या कहा था
बता दे कि अभी हाल ही में झारखंड के वित्त मंत्री धनबाद आए थे. उन्होंने इस बात का संकेत दिया था कि कोलियरी इलाकों में चल रहे वाहनों के कागजात फेल होने की सूचना प्राप्त हो रही है. टैक्स फेल वाहन चल रहे है. इसके बाद पहली बार बीसीसीएल को थोक भाव में नोटिस दिया गया है. बताया तो यह भी जाता है कि बीसीसीएल में संचालित आउट सोर्स कंपनियों का भी यही हाल है. वहां भी बड़ी संख्या में वाहन चलते हैं, लेकिन उनके कागजात अपडेट नहीं होते. बता दे कि राज्य सरकार ने कोयलांचल सहित झारखंड के ट्रांसपोर्ट माफिया पर शिकंजा कसने की तैयारी की है. कोयला खनन में लगी आउटसोर्स कंपनियां भी इसकी चपेट में आएंगी. खनन क्षेत्र में सक्रिय ट्रांसपोर्ट माफिया पर शिकंजा कसने का काम शुरू कर दिया गया है. ट्रांसपोर्ट माफिया अब झारखंड में खनिज और माइनिंग क्षेत्र में टैक्स डिफॉल्टर और अवधि खत्म हो गई पुरानी गाड़ियां नहीं चला सकेंगे. इन पर बैन लगा दिया जाएगा. खनन और परिवहन विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है. यह सब लागू होने से राज्य में खनन के क्षेत्र में चल रहा ट्रांसपोर्टिंग सिस्टम बदल जाएगा.
कड़ाई हुई तो सरकार की आमदनी भी बढ़ जाएगी
सरकार की आमदनी भी बढ़ जाएगी. खनन विभाग अब परिवहन और उत्खनन के लिए ऐसी गाड़ियों को ट्रांसपोर्टिंग चलान जारी नहीं करेगा. नियम बना है कि विभाग खनिज परिवहन चलान देने से पहले जिम्स पोर्टल में एक फ़िल्टर लगाएगा. इसमें परिवहन के लिए आए वाहनों के नंबर की जांच होगी. पता लगाया जाएगा की वाहन का परिचालन टैक्स अपडेट है या नहीं, गाड़ी चलने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है या नहीं ,दोनों रिपोर्ट पॉजिटिव हुए तभी ही माइनिंग चालान गाड़ी को मिलेगी. बता दें कि सिर्फ कोयला ही नहीं, बल्कि अन्य खनन क्षेत्र में ट्रांसपोर्टिंग माफिया सक्रिय है. कोयलांचल में तो ट्रांसपोर्टिंग का धंधा बेखौफ चलता है. आउट सोर्स कंपनियां भी इसी राह पर चलती है. ट्रांसपोर्टिंग का धंधा कम से कम कोयलांचल में तो फायदे का धंधा है. अगर कोयलांचल के पुराने इतिहास को देखेंगे तो पता चलेगा कि ट्रांसपोर्टिंग के धंधे से ही कई लोग खाकपति से अरबपति बन गए.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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