धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में ट्रॉमा सेंटर घोटाला हुआ है. इसके केंद्र में धनबाद है. अब देखना दिलचस्प होगा कि मामला जब सामने आ गया है, तो आगे क्या कुछ होता है? जानकारी के अनुसार धनबाद के सरकारी अस्पताल SNMMCH में कागज पर ट्रॉमा सेंटर चल रहा है. जानकार आश्चर्य होगा कि 2020 में यहां 10 बेड का ट्रॉमा सेंटर बना. इस ट्रॉमा सेंटर में ना कोई मरीज भर्ती होते और नहीं कोई अधिकारी इसकी जानकारी रखते है. हद तो तब हो गई कि ट्रॉमा सेंटर के नाम पर कुछ डॉक्टरों को कागज पर प्रतिनियुक्त भी किया गया. लेकिन आज तक कोई मरीज इसमें भर्ती नहीं हुआ. दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करने के बजाय बाहर रेफर कर दिया जाता है. सूत्रों के अनुसार 2020 से SNMMCH के इमरजेंसी स्थित सर्जिकल आईसीयू में 10 बेड का ट्रॉमा सेंटर संचालित है. 30 दिसंबर 2020 को अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक द्वारा जारी पत्र के अनुसार 10 बेड का ट्रामा सेंटर बनाया गया है.
डॉक्टरों को भी किया गया था प्रतिनियुक्त
तत्कालीन ऑर्थो विभाग के एचओडी रहे डॉक्टर को ट्रामा सेंटर का नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया गया था. जबकि तत्कालीन सर्जरी विभाग के एचओडी को ट्रॉमा सेंटर का प्रभारी बनाया गया था. सूत्र तो यह भी बताते हैं कि ट्रॉमा सेंटर के लिए सालों पहले 82 लाख रुपए आवंटित किए गए है. इस राशि का उपयोग ट्रामा सेंटर के संचालन में करना है. ट्रॉमा सेंटर के डेवलपमेंट और दवा सहित उपकरणों की खरीदारी भी इसी राशि से करनी है. ट्रॉमा सेंटर का संचालन नहीं होने से यह राशि अभी तक यूं ही पड़ी हुई है. आश्चर्यजनक पहलू यह है कि जब वरीय अधिकारी निरीक्षण को आते हैं, तो ट्रॉमा सेंटर का बैनर लगा दिया जाता है. सूत्र बताते हैं कि अभी हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह जब निरीक्षक को आए थे, तो ट्रामा सेंटर का बैनर लगा दिया गया था.
मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर क्यों होता है जरूरी
दरअसल, मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर जरूरी है. क्योंकि यह गंभीर चोटों और आपातकालीन स्थितियों में रोगियों को तुरंत और उचित चिकित्सा प्रदान करने में मदद करता है. ट्रॉमा सेंटर में विशेषज्ञ चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी की नियुक्ति होती है. जो मरीज को चिकित्सा सेवा प्रदान करते है. केंद्र में आधुनिक चिकित्सा सुविधा होती है. इसके जरिए मरीज की जान बचाने में मदद मिलती है. अब जब मामला सामने आया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी इस मामले को आगे किस रूप में देखते है? इस गड़बड़ी के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? कई अधीक्षक आए और गए, लेकिन किसी ने इसकी रिपोर्ट क्यों नहीं की ? कागज पर क्यों ट्रामा सेंटर चला रहा, यह सब अपने आप में एक बड़ा सवाल है?
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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