धनबाद(DHANBAD): झारखंड हाई कोर्ट के एक फैसले से कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी  इकाई में कार्यरत या रिटायर्ड कर्मियों-अधिकारियों  को तो फायदा होगा ही, साथ ही साथ अन्य को भी फायदा हो सकता  है.  कोल इंडिया की इकाई बीसीसीएल के एक रिटायर्ड एग्जीक्यूटिव की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है.  आदेश में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को कंपनी की चिकित्सा बीमा योजना के तहत मानसिक उपचार से वंचित नहीं किया जा सकता.  मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति या शारीरिक रूप से  बीमार व्यक्ति के बीच उपचार और अन्य सुविधाएं देने के मामले में कोई अंतर नहीं किया जा सकता.  

अदालत ने बीसीसीएल के प्रार्थी की पत्नी के मानसिक उपचार में हुए खर्च की भरपाई करने का निर्देश दिया है.  प्रार्थी ने अपनी पत्नी के मानसिक इलाज के लिए कंपनी की  स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इलाज करने के लिए आवेदन दिया था.  लेकिन कंपनी ने कहा कि बीमा योजना का लाभ शारीरिक उपचार के लिए है, मानसिक उपचार के लिए योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता. 

 इसके बाद प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.  अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम चिकित्सा प्रतिपूर्ति योजनाओं में मानसिक और शारीरिक दोनों बीमारियों के लिए समान उपचार को अनिवार्य बनाता  है.  न्यायालय ने कहा है कि यह वैधानिक निर्देश सभी स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं को मानसिक बीमारी के उपचार के लिए इस तरह प्रावधान करने का आदेश देता है, जैसा कि  शारीरिक बीमारी वाले व्यक्तियों के संबंध में किया जाता है.  अदालत ने बीसीसीएल को प्रार्थी के खर्च की भरपाई करने का भी आदेश दिया है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो