रांची(RANCHI): झारखंड का टॉप माओवादी रहा कुंदन पाहन एक बड़े लूट के केस से बरी हो गया है. कोर्ट में गवाह कुंदन को पहचानने से इनकार कर दिया. जिसके बाद 17 साल केस चला और अब 14 मई 2025 को कोर्ट ने कुंदन पाहन को बरी कर दिया है. बता दें कि कुंदन पाहन के दस्ते ने तमाड़ में 2008 के समय दिन दहाड़े पांच करोड़ रुपये से लदे कैश को लूट लिया था, वैन में 1.5 कीलो सोना भी मौजूद था. इसके बाद कुंदन का दस्ता वहां से निकल गया. इस बीच पीछा कर रही पुलिस के साथ मुठभेड़ भी हुई थी. लेकिन कुंदन पाहन निकल गया.
कोर्ट में गवाह और साक्ष्य नहीं
इस मामले में अपर न्याययुक्त आनंद प्रकाश की अदालत में केस का ट्रायल चल रहा था. लंबी बहस और दोनों पक्ष की दलील को सुनने के बाद कोर्ट इस मुकाम पर पहुंचा की कुंदन के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है.साथ ही जिन गवाहों का नाम पुलिस ने दिया था वह भी सुनवाई के बीच में ही मुकर गए. जिससे केस खुद हल्का हो गया. साथ ही पुलिस कोई ठोस सबूत कोर्ट के पास नहीं दे सकी. जिससे आरोप सिद्ध हो सके. इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उसे बरी करने का आदेश दे दिया.
रांची टाटा रोड पर लूट
बता दें कि 2008 में रांची टाटा मुख्य सड़क पर कुंदन पहान का दस्ता मौजूद था. इस दौरान रांची से ICICI बैंक की कैश वैन जा रही थी. इसमें पांच करोड़ 17 लाख रुपये थे इसके अलावा 1.5 केजी सोना भी मौजूद था. लेकिन पहले से जाल बिछा कर बैठे कुंदन के दस्ते ने इसे निशाना बनाया. और कैश वैन को लेकर फरार हो गया. इस बीच पुलिस को जानकारी लगते ही पीछा शुरू किया. जिसमें मुठभेड़ भी हुई थी. इस मुठभेड़ में कई पुलिस कर्मी घायल हुए थे. आखिर में नक्सली वैन लेकर निकल गए. मामले में पुलिस ने खूब कोशिश किया जिससे उसे पकड़ा जा सके. लेकिन पुलिस की हर चाल से पहले कुंदन आगे निकल रहा था. पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी.
100 से अधिक मामले दर्ज
अगर देखें तो कुंदन पाहन एक कुख्यात माओवादी में शामिल रहा है. इस पर 100 से अधिक मुकदमे दर्ज है. झारखंड के अलग अलग थाना में इसके आतंक की गाथा लिखी हुई है. कुंदन के आतंक का इस बात से अंदाज लगा सकते है कि इसपर चाईबासा के बलिवा में मुठभेड़ ए दौरान 35 पुलिस कर्मियों की हत्या का आरोप है. साथ ही इन्स्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार और डीएसपी प्रमोद कुमार सिंह को मौत के घाट उतार चुका है. इसके अलावा पूर्व मंत्री रमेश सिंह,सांसद सुनील महतो की हत्या भी आरोपी है.
2017 में कर दिया आत्म समर्पण
आखिर में जब कुंदन को लगा की अब और नहीं चल सकते है. क्योंकि समय के साथ साथ कुंदन के पीछे पुलिस उतनी ही तेजी से तलाश कर रही थी. कुंदन को आभास हो गया था की अगर आत्म समर्पण नहीं करेंगे तो मारे जाएंगे. इसके बाद इसके बाद 05 मई 2017 को पुलिस के सामने हथियार डाल दिया. रांची में बड़े अधिकारियों के सामने इसने आत्म समर्पण कर दिया. जिसके बाद कुंदन को झारखंड सरकार की ओर से आत्म समर्पण नीति ए तहत कई लाभ दिए गए. फिलहाल तो कुंदन पाहन जेल में बंद है. इसके बाहर आने का उम्मीद बेहद कम है. क्योंकि 100 मामल इसपर दर्ज है जिसे सुनवाई होते होते पूरी ज़िंदगी निकल जाएगी.
चुनाव लड़ चुका है कुंदन
इस बीच अगर देखे तो कुंदन पाहन 2019 में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुका है. तमाड़ सीट पर कुंदन पाहन ने पर्चा दाखिल किया था. कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद नामांकन करने पहुंचा था. कुंदन ने झारखंड पार्टी से अपना पर्चा दाखिल किया था. हलाकी इस चुनाव में इसे हार का सामना करना पड़ा था 23 सौ वोट ला कर 7 वें नंबर पर रहा. इस चुनाव में विकास मुंडा को जीत मिली थी.
Recent Comments