देवघर (DEOGHAR): भोलेनाथ के पास त्रिनेत्र है और ये भोलेदानी है. इनको जो भी अर्पित कर दीजिए उसी से खुश हो कर हर मनोकामना को पूर्ण कर देते है. इनकी तीसरी आंख की तरह बेलपत्र दिखाई देता है. इसलिए इनको बेलपत्र अतिप्रिय है. बेलपत्र को देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे किसी देवियों की आंख का साक्षात दर्शन हो रहा है.
इनदिनों देवघर में मासव्यापी राजकीय श्रावणी मेला का संचालन हो रहा है. श्रद्धालु सावन के पवित्र मास में बाबा का जलाभिषेक करने यहां आते है. सावन मास में सुल्तानगंज स्थित गंगा का जल लेकर प्रतिदिन लाखो श्रद्धालु बैद्यनाथ धाम में आकर गंगाजल के साथ बेलपत्र अर्पित करते है जिनसे बाबा खुश होकर उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं. बेलपत्र की महिमा को जनजन तक पहुंचाने के उद्देश्य से बाबाधाम के तीर्थ पुरोहित द्वारा मंदिर प्रांगण के विभिन्न स्थानों पर बेलपत्र की एक से बढ़कर एक दुर्लभ प्रजाति की प्रदर्शनी बंगला सावन भर लगाते हैं. चांदी की थाली में आकर्षक तरीके से दुर्लभ बेलपत्रों को ऐसे सजाते है जिसका यहाँ आने वाले श्रद्धालु देखते हैं और बेलपत्रों के बारे में यहाँ के पुरोहितों से जानकारी भी लेते है. इन श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या में ऐसे भी होते है जिन्होंने अभी तक के जीवनकाल में ऐसा बेलपत्रों को नहीं देखा है.
भोलेनाथ के भक्तों के लिए यहाँ के तीर्थ पुरोहित सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर जंगलों से बेलपत्रों को लाते हैं. इनकी सदियों पुरानी परंपरा इस आधुनिक युग मे भी बरकरार है. देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम ज्योर्तिलिंग में लगने वाली बेलपत्र प्रदर्शनी शायद ही किसी अन्य ज्योर्तिलिंगों में देखने को मिलता होगा. यही कारण है कि यह ज्योर्तिलिंग अन्य ज्योर्तिलिंगों से अपनी अलग पहचान रखती है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा
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