धनबाद(DHANBAD): झारखंड में हाल -फिलहाल में चुनाव नहीं है. यह हो सकता है कि निकाय चुनाव हो, लेकिन इसके लिए कांग्रेस अचानक इतनी सक्रिय हो जाएगी, यह लोगों की समझ में नहीं आ रहा है. गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में चल रहे झामुमो के नेताओं को भी यह बात समझ में नहीं आ रही है कि आखिर कांग्रेस झारखंड में अचानक इतनी सक्रिय क्यों हो गई है? क्या बिहार चुनाव को झारखंड से साधने की कांग्रेस कोशिश कर रही है? बिहार में कुछ महीनो बाद चुनाव होने हैं और बिहार को लेकर कांग्रेस अपने तरकश के तीरों को धीरे-धीरे बाहर निकाल रही है. बिहार का चुनाव एनडीए के लिए महत्वपूर्ण है, तो महागठबंधन भी हर हाल में इसे जितना चाहता है. झारखंड में कांग्रेस पहले सरना धर्म कोड, फिर पेसा कानून के बाद अब दलित राजनीति की ओर पूरी ताकत के साथ बढ़ गई है.
50 लाख अनुसूचित जाति की आबादी को साधने का प्रयास
झारखंड में एक अनुमान के अनुसार 50 लाख अनुसूचित जाति की आबादी है. इस आबादी को आकर्षित करने के लिए रांची में बुधवार को बड़ी बैठक हुई. इस बैठक में प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी के राजू ,पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र गौतम, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश सहित अन्य कांग्रेस के बड़े नेता शामिल हुए. बैठक का उद्देश्य बताया गया कि अनुसूचित जाति की समस्याओं को समझना और समाधान के लिए नीति निर्धारण बैठक का लक्ष्य है. बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार पर अनुसूचित जाति आयोग, बजट में घोषित अनुसूचित जाति परामर्शदातृ समिति को जमीन पर उतारने के लिए दबाव बनाया जाए और जाति प्रमाण पत्र को लेकर आ रही कठिनाइयों को दूर कराया जाए.
कांग्रेस संगठन में भी भागीदारी बढ़ाने की हो रही कोशिश
कांग्रेस संगठन में भी भागीदारी देने का निर्णय लिया गया .सरकार के पक्ष में बोलते हुए वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि समय आ गया है कि अनुसूचित जातियों को एकजुट किया जाए. और आयोग के गठन और परामर्श देने वाली समिति के गठन का काम 6 महीने में सरकार जरूर पूरा करेगी. प्रदेश कांग्रेस प्रभारी ने भी कहा कि अनुसूचित जातियों को ऊपर लाने के लिए संगठन पहले से ही प्रयास कर रहा है. इसके लिए प्रदेश से लेकर जिला और निचले स्तर तक की समिति में एससी, एसटी, ओबीसी और पिछड़ों के लिए 50% तक भागीदारी का प्रावधान किया जा रहा है.
पेसा कानून, सरना धर्म कोड को लेकर कांग्रेस आगे बढ़ गई है
बता दें कि पेसा कानून, सरना धर्म कोड को लेकर कांग्रेस आगे बढ़ गई है. यह झारखंड मुक्ति मोर्चा का मुद्दा हो सकता था .लेकिन कांग्रेस इसे लपकने की कोशिश में है. इसलिए झामुमो भी इसको लेकर आगे अपनी रणनीति तय करेगा, इसमें कोई संदेह नहीं .इधर बिहार के चुनाव में भी झामुमो मजबूती से शामिल होने की तैयारी में है. वह कम से कम झारखंड से सटे एक दर्जन विधानसभा सीटों का डिमांड कर सकता है.बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा को कितनी सीट महागठबंधन से मिलती है ,यह तो भविष्य के गर्भ में है. लेकिन फिलहाल झारखंड में गठबंधन की राजनीति को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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