रांची(RANCHI): झारखंड में मानो सिस्टम नाम की कोई चीज ही नहीं बची है.  व्यवस्था के नाम पर सड़क पर तो वसूली की कई तस्वीर सामने आई है. लेकिन जब मर जाने के बाद भी पुलिस को चढ़ावा देना पड़े तो फिर सवाल पूरे शासन प्रशासन पर खड़ा होने लगता है. क्योंकि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की बदहाली हर दिन खबरों में दिखाई जाती है. लेकिन रिम्स के बाहर पोस्टमार्टम हाउस में कैसा खेल चल रहा है. लाश देने के लिए पैसा वहाँ मौजूद पुलिस वाले वसूल रहे है. साथ ही सीएम हेमंत और स्वास्थ्य मंत्री के सपने को पलीता लगा रहे है.

दरअसल जब रांची के रिम्स स्तिथ पोस्ट मार्टम हाउस में हर दिन दर्जनों शव पहुंचते है. अस्पताल में किसी की मौत हो जाए तो खुद वह परेशान रहता है. दुख कितना होता है वह उसी का परिवार समझता है. जिनके घर का कोई चला जाए. लेकिन रांची पुलिस के जवान इन सब से दूर उन्हें सिर्फ पैसे से मतलब होता है. किसके साथ क्या हुआ है उसे कोई लेना देना नहीं. क्योंकि पुलिस का तो जमीर ही मर गया है. तभी तो मुर्दों से भी वसूली की जा रही है.

रांची पुलिस के कप्तान जनता और पुलिस के बीच की दूरी मिटाने के लिए हर दिन काम करते है. जनता से सीधे मुखातिब हो कर उनकी समस्या को सुनते है. कही कोई दिक्कत हो तो गरीबों के बीच पहुंचते है. लेकिन इनके जवान तो एसपी साहब के काम को भी नहीं देखते है कि उनके साहब तो ऐसे नहीं है. जब आप रिम्स के पोस्टमार्टम हाउस में पहुँचे लोगों से बात करेंगे तब तब आप भी सोचेंगे आखिर कहाँ जा रहा है झारखंड और यहाँ की व्यवस्था.

जब रिम्स पहुँचे मृतक के परिजनों से बात किया तो उन्होंने बताया कि पुलिस वाले 200 से 500 की डिमांड करते है. पुलिसकर्मी परिजनों से बोलते है कोर्ट जाना पड़ता है और भी कई जगह खर्च है. इसके लिए पैसे ले रहे है.साथ ही यहाँ रिम्स के ट्रॉली मैन भी ट्रामा सेंटर से पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाने के किए 140 रुपया की मांग करते है.

ऐसे में सूबे के मुखिया अबुआ सरकार होने की बात करते है. स्वास्थ्य मंत्री अपने स्वास्थ्य व्यवस्था को देश की सबसे हाई टेक बताते है. लेकिन सीएम साहब और स्वास्थ्य मंत्री के सभी सपने को पुलिस वाले और कर्मचारी मिट्टी में मिला रहे है और झारखंड के आदिवासी मूलवासी के मरने वाले के परिजन से वसूली कर रहे है.