पाकुड़ (PAKUR):  पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड सह अंचल कार्यालय भवन की दीवारों में आई दरारें और छत से टपकता पानी न सिर्फ सरकारी निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हैं, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता को भी उजागर करते हैं. 

वर्ष 2019 में जब तत्कालीन राजमहल सांसद विजय कुमार हांसदा और विधायक स्वर्गीय साइमन मरांडी ने इस भवन का शिलान्यास किया था, तब उम्मीद थी कि यह प्रखंड का गौरव बनेगा, प्रशासनिक कार्यों की रीढ़ बनेगा. लेकिन मात्र छह वर्षों में ही यह करोड़ों की लागत से बना भवन जवाब देने लगा है – छत से टपकता पानी और दीवारों में फैलती दरारें चीख-चीखकर कुछ कह रही हैं. क्या यही है विकास? क्या यही है निर्माण की ईमानदारी? किस सीमेंट का उपयोग हुआ, किस मौरंग, किस लोहा, और किस ज़मीर से ये भवन खड़ा किया गया था?

जर्जर होने का कारण सिर्फ पत्थर खदान की धमाकें, या कुछ और?

सूत्रों की मानें तो भवन से कुछ ही दूरी पर स्थित पत्थर खदान में हो रही लगातार हेवी ब्लास्टिंग इसका कारण बताई जा रही है. कंपन से दीवारें कांप उठीं, लेकिन अफसरों की कुर्सी नहीं हिली.
अंचल अधिकारी ऊपरी तल्ले में बैठते हैं, नीचे ग्राउंड फ्लोर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी कार्यरत हैं. क्या ये कंपन सिर्फ दीवारों तक सीमित हैं या अफसरों की ज़िम्मेदारी तक भी पहुंचती हैं? अब सवाल उठता है – क्या कोई हादसा होने का इंतज़ार है? क्यों नहीं हो रही जांच? क्यों नहीं उठाए जा रहे सख्त कदम? यह सिर्फ एक भवन की बात नहीं, ये जनता के पैसों से बने भरोसे की इमारत है – जो दरक रही है, टूट रही है.

रिपोर्ट: नंद किशोर मंडल/पाकुड़