टीएनपी डेस्क(TNP DESK):हमारे देश में देवी-देवताओं के लाखों मंदिर स्थित है.सबकी अपनी-अपनी गौरवशाली इतिहास और परंपरा है. वहीं कई चमत्कारिक मंदिर ऐसे भी हैं जहां सदियों से कई मान्यताएं प्रचलित है. आज हम एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बात करनेवाले है, जहां श्रद्धालुओं की लाखों भीड़ उमड़ती है. यहां की मान्यता है कि अगर नई गाड़ी की पूजा यहां कर दिया जाए तो फिर कभी भी सड़क दुर्घटना नहीं होती है.

मंदिर में वाहन की पूजा करने से टल जाती है सड़क दुर्घटना

आपको बतायें कि बिहार के वैशाली जिले के गोरौल प्रखंड अंतर्गत चांदपुराकला गांव में स्थित बाबा मलंग स्थान सदियों से भक्तों की आस्था का केंद्र है. जहां कोई भी दो पहिया या चार पहिया वाहन खरीदने के बाद लोग यहां पहले पूजा करने के लिए आते है. लोगों की ऐसी आस्था है कि यहां अगर नए वाहन की पूजा की जाए तो फिर उस गाड़ी से कभी भी सड़क दुर्घटना नहीं होती है, जिसकी वजह से यहां रोजाना नए वाहनों के साथ भक्तों की भीड़ जुटती है.

पूरे देश से जुटती है लोगों की भीड़

बिहार का बाबा मलंग स्थान इतना ज्यादा प्रचलित है कि बिहार के साथ-साथ नेपाल, झारखंड बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से भी गाड़ी के मालिक गाड़ी खरीदकर यहां पूजा करवाने पहुंचते है. सबसे ज्यादा भीड़ यहां शुक्रवार और सोमवार को विशेष रूप से देखी जाती है. जहां वाहन की कतार लग जाती है. भक्तों का ऐसा विश्वास है कि मलंग दरबार में अगर सच्चे मन से कोई मन्नत मांगी जाए तो वह जरूर पूरी होती है, यहां नियम रूप से पूजा करने वाले श्रद्धालु कहते हैं कि बाबा संकट के समय हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं.

पीपल पेड़ के नीचे विराजमान है बाबा मलंग

आमतौर पर प्रसिद्ध मंदिरों में आपने देखा होगा कि बड़े-बड़े सुंदर और आकर्षण मंदिरों का निर्माण कराया जाता है लेकिन बाबा मलंग स्थान की अपनी ही एक मान्यता है यहां किसी मंदिर में नहीं बल्कि एक पीपल पेड़ के नीचे बाबा विराजमान है. मंदिर के पुजारी सुनील कुमार झा का कहना है, लोदीपुर गांव निवासी हरिहर शाह को बाबा ने सपने में आकर में अपनी विशाल मूर्ति पीपल के नीचे स्थापित करने का निर्देश दिया था.जिसके बाद भव्य प्रतिमा की स्थापना की , जो आज हजारों लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है.बाबा मलंग स्थान में बाबा के साथ योगी बाबा, भगवान विष्णु, भगवान शिव, बजरंगबली माता संतोषी, रामलला और जगत जननी की भी पूजा होती है.जहां उनकी प्रतिमा मौजूद है.

चमत्कार की काफी कहानियां प्रचलित है

वहीं स्थानीय लोग बताते हैं कि जहां आज बाबा मलंग की मूर्ति स्थापित है, वह स्थान पहले सुनसान हुआ करता था, जहां चोर-डाकू लोगों को लूटने का काम करते थे, तभी बाबा मलंग प्रकट होकर राहगीरों की मदद करते थे.आज भी गांव के लोग रहस्यमय शक्ति की कहानियां सुनाते हैं.वही कहा जाता है कि मुगल काल से यहां कार्तिक महीने की शरद पूर्णिमा पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. यह परंपरा आज भी निभाई जाती है, जहां हजारों श्रद्धालु बाबा मलंग के दर्शन के लिए आते है. इस मेले में धार्मिक भावना के साथ सामाजिक समागम भी होता है.