रांची(RANCHI): झारखंड में राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानि कि एनईपी का हवाला देते हुए राज्य के सभी डिग्री कॉलेज में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद हो चुकी है. ऐसे में स्थिति ये है की प्लस टू हाई स्कूल की पढ़ाई मजबूत नहीं है. साथ ही राज्य में 634 हाई स्कूल हैं पर सभी स्कूल्स में कई विषय की पढ़ाई तक नहीं होती. राज्य में अनुमानित 125 स्कूल तो ऐसे भी है, जिनमें टीचर ही मौजूद नहीं है. वहीं गिरीडीह में सबसे अधिक 22 ऐसे स्कूल्स है जिन्हें प्लस टू स्कूल का दर्ज मिला है. अगर कुछ रफ आकड़ों की मानें तो औसतन सभी प्लस टू हाई स्कूल में करीबन 400 से 300 सीटें है, ऐसे में कुल सीटें 2 लाख 52 हजार के बीच बैठती हैं. वहीं इस साल पास हुए छात्रों की संख्या लगभग 4 लाख के आस पास थी. अब इन अकड़ों की मानें तो करीबन आधे से ज्यादा छात्रों को नामांकन के लिए सीटें ही नहीं मिलेंगी.
ऐसे में अब बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये छात्र अब जाएंगे कहाँ? अगर बात करें प्लस टू हाई स्कूल्स पर पtरी तरह से निर्भरता कि तो अब डिग्री कॉलेज में पढ़ाई बंद होने के कारण सारा भार प्लस टू हाई स्कूल पर आ जाएगा. पर सवाल ये है की क्या इन स्कूल्स में छात्रों के नामांकन के लिए पर्याप्त सीटें मौजूद हैं? साथ ही जिन ग्रामीण इलाकों में प्लस टू हाई स्कूल्स हैं ही नहीं, उन क्षेत्रों में बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा, ये भी एक अहम सवाल है.
ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि अगर राज्य सरकार चाहती है कि हर बच्चा 12वीं तक की शिक्षा पूरी करे, तो उन्हें प्लस टू स्कूलों की संख्या, सीटों और संसाधनों को तीन गुना तक बढ़ाना होगा.
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