साहिबगंज(SAHIBGANJ): साहिबगंज जिले के बोरियो प्रखंड मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर पहाड़ पर बसे गम्हरिया गांव के लोग चुनौतियों से भरी जीवन जी रहे हैं. गम्हरिया पहाड़ में पहाड़िया आदिम जनजाति निवास करते है. गम्हरिया गांव के लोग बारहों महीने प्राकृतिक का मार झेलते है. गम्हरिया गांव में दो दर्जन पहाड़िया परिवार अपना जीवन यापन करते है. इनके लिए जीवन जीना चुनौतीपूर्ण है. गम्हरिया गांव जाने के लिए सड़क नही है.
साहिबगंज के बोरियो में जल संकट से मचा कोहराम
ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए गांव से तीन किमी दूर पहाड़ी रास्तो से होकर झरना तक पहुंच पेयजल की व्यवस्था करते है. गर्मी के शुरूआत होने साथ ही इनके लिए पेयजल की किल्लत होने लगती है. तेज़ धूप और लू से झरना सूखने के कगार पर होता है. कई दिनों तक ग्रामीण झरने का गंदा पानी पीने को विवश हो जाते है.इस गांव में जीवन यापन करने वाले पहाड़िया परिवारों का पीड़ा सुनने के लिए कोई नही है.
सरकार की अनदेखी से हालत हुई खराब
सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाएं इनलोगों के नाम पर बनी जरूर,लेकिन इनलोगों तक पहुंचने से पहले कहीं रास्ता भटक गयी.इनके लिए पेयजल ही एक मात्र समस्या नहीं है.मौसम की मार झेलते कई ने अपनी जवानी गुजार दी. लेकिन इन्हें अब भी भरोसा है,की गांव का विकास होगा और दशा बदलेगी, सवाल यह है कि आखिर कौन इनकी दशा बदलने की बीड़ा उठाएंगे.
गर्मी आते ही गहरा जाता है जल संकट
फिलहाल इनके लिए पेयजल की समस्या गहरा गया है.जीवन बचाने के लिए जल की दरकार है.और गर्मी के बढ़ने के साथ इनलोगो की परेशानी बढ़ेगी.दो दर्जन से अधिक परिवार गुजर बसर करने वाले गांव की जनसंख्या करीब 150 है. इतनी बड़ी आबादी को पेयजल आपूर्ति कैसे होगी,यह बड़ा सवाल है.ग्रामीणों की परेशानी यहीं खत्म नहीं होती.गर्मी गुजरने के ठीक बाद बारिश के दिनों में लोग अपने घरों में सप्ताह भर बंद रहते है. पहाड़ से नीचे उतरना खतरे से खाली नही होता. फिसलन भरी रास्तो से जान जोखिम में डाल कर लोग आवागमन करते है. ऐसे में ग्रामीणों को फिसल कर गिरने का भय सताता है.
रिपोर्ट-गोविंद ठाकुर
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