धनबाद(DHANBAD): बिहार में चुनाव नहीं होते  तो क्या केंद्रीय वित्त मंत्री मधुबनी पेंटिंग की साड़ी पहन कर बजट पेश करती? यह सवाल झारखंड के मंत्री दीपिका पांडे सिंह का है.  सोशल मीडिया एक पर उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री को टैग  करते हुए सवाल पूछा है.  यह  अलग बात है कि केंद्रीय वित्त मंत्री की मधुबनी पेंटिंग्स की साड़ी लेकर अभी पूरे देश में चर्चा है.  यह  साड़ी बिहार की दुलारी देवी ने उन्हें भेंट की थी.  वही साड़ी पहनकर वित्त मंत्री बजट पेश करने पहुंची थी. बता दे कि आम बजट  के साथ ही बिहार की दुलारी देवी भी चर्चा में आ गई.  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की साड़ी  की जीतनी तारीफ हो रही ,दुलारी देवी की चर्चा भी हो रही है.  वित्त मंत्री जिस साड़ी को पहनकर बजट पेश करने पहुंची थी.  उस साड़ी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा .  वित्त मंत्री ने मधुबनी कला से सजी क्रीम रंग की एक खास साड़ी पहनी थी.

वित्त मंत्री की यह साड़ी इसलिए भी और खास हो गई, क्योंकि यह  न सिर्फ भारत की कला को पेश कर रही थी, बल्कि इसको बिहार के मशहूर मधुबनी चित्रकार पद्मश्री दुलारी देवी ने तैयार किया था.  कहा जाता है कि दुलारी देवी की यह साड़ी सिर्फ एक साड़ी नहीं, बल्कि संघर्ष, परंपरा और कला  की बेमिशाल  यात्रा की कहानी है.  दुलारी देवी ने वित्त मंत्री को यह साड़ी गिफ्ट की थी.  गिफ्ट करते समय भी वित्त मंत्री से दुलारी देवी ने अनुरोध किया था कि वह साड़ी पहनकर 2025 का बजट पेश करे.  दुलारी देवी ने वित्त मंत्री को यह साड़ी तब दी थी, जब वह मधुबनी के दौरे पर गई थी.  मधुबनी जिले में जन्मी दुलारी देवी मछुआरा समुदाय से आती है.  जहां महिलाओं को कला  से कोई संबंध नहीं होता.  

दुलारी देवी के जीवन में ऐसा नहीं था  कि वह बचपन से ही चित्रकला की  शौकीन थी.  बल्कि परिस्थितियों ने उन्हें यह सब करने को मजबूर कर दिया.  फिर  दुलारी देवी ने मजबूरियों को अवसर में बदलना शुरू किया और सफल रही. दुलारी देवी की छोटी उम्र में शादी हो गई थी और  केवल  16 साल की उम्र में उसके पति   ने छोड़ दिया था.  इससे भी बड़ा दुख तब मिला जब उन्होंने अपने बच्चों को खो दिया था.  इसके बाद अपनी जिंदगी जीने के लिए उन्होंने 16 सालों तक एक घरेलू नौकरानी के रूप में काम किया. फिर तो किस्मत ने पलटा खाना शुरू किया.   जिस घर में वह  नौकरानी थी ,वहां प्रसिद्ध मधुबनी चित्रकार कर्पूरी देवी रहती थी.  उन्हें देखकर दुलारी देवी को भी इस कला में दिलचस्पी पैदा हुई.  उन्होंने धीरे-धीरे चित्रकारी  सीखना शुरू किया और यहीं से उनकी प्रतिभा को कामयाबी की राह मिली.  

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो