धनबाद(DHANBAD):  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चेतावनी के बाद कोलकाता से लेकर दिल्ली तक नई बहस छिड़ गई है.  सवाल किया जा रहा  हैं कि क्या सचमुच झारखंड की  कोयला खदानों को ,केंद्र अगर पैसा नहीं देता है, तो बंद करा  दिया जाएगा.  फिर देश के उन 12 राज्यों का क्या होगा, जिनका आर्थिक पहिया झारखंड के कोयले से घूमता है? एनटीपीसी और डीवीसी जैसी देश की सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों का क्या होगा? निश्चित रूप से झारखंड कोल इंडिया लिमिटेड के लिए  कोयला उत्पादन में बहुत सहायक है.  मुख्यमंत्री झारखंड रॉयल्टी का बकाया 136 लाख करोड़ मांग रहे है.  केंद्र कह रहा है कि यह बकाया नहीं है.  

मुख्यमंत्री ने केंद्र को बकाए का पूरा डिटेल्स  भी भेजा है

मुख्यमंत्री ने केंद्र को बकाए का पूरा डिटेल्स  भी भेजा है.  लगातार विभिन्न प्लेटफार्म से मांग  उठाते रहे है.  केंद्रीय कोयला मंत्री का भी हाल ही में झारखंड का दौरा हुआ था.  उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात भी की थी.  समझा जा रहा था कि यह विवाद अब सलट  जाएगा, लेकिन केंद्रीय कोयला मंत्री के दिल्ली लौटने  के बाद भी लगता है कि विवाद बना हुआ है.  अगर ऐसा नहीं होता तो मंगलवार को धनबाद में झामुमो की स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री यह  नहीं कहते कि अगर जरूरत पड़ी तो हम दूसरे राज्यों को जाने वाला कोयला रोक देंगे. 

सत्ता में रहते हुए भी ऐसा लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे

सत्ता में रहते हुए भी ऐसा लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे. अब लगता है कि  झारखंड सरकार और केंद्र के बीच टकराहट की जमीन धीरे-धीरे ही सही, मजबूत होती जा  रही है.  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को धनबाद में झामुमो की स्थापना दिवस कार्यक्रम में खुले मंच से ऐलान कर दिया कि अगर केंद्र बकाया नहीं देता है, तो हम कोयला रोक देंगे.   मुख्यमंत्री ने 136 लाख करोड़ नहीं देने पर केंद्र को यह प्रत्यक्ष चेतावनी  दे दी है.  उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार अगर रॉयल्टी का बकाया 136 लाख करोड रुपए झारखंड को नहीं देती है, तो वह कोयला रोकने की भी ताकत रखते है.  अगर झारखंड अपने आप पर आ जाए तो पूरे देश में अंधेरा हो जाएगा.  

हम झारखंडी हैं, अधिकार छिनना  जानते है

उन्होंने यह भी कहा कि हम झारखंडी हैं, अधिकार छिनना  जानते है.  झारखंड में कोयला खदान के बाद खाली पड़ी जमीन को अब रैयतों  को वापस करना होगा.  बता दे कि  कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया की झारखंड में मजबूत पकड़ है.  झारखंड में कोल इंडिया की बीसीसीएल, सीसीएल और ईसीएल  की खदानों को मिलाकर प्रतिदिन औसतन 3 लाख टन कोयले का उत्पादन होता है.  इस कोयले की आपूर्ति देश के कई राज्यों के बिजली घरों और कई उद्योगों के अलावा झारखंड में मौजूद इस्पात कंपनियों को की जाती है. यहां का कोयला बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली ,पंजाब और राजस्थान समेत 12 राज्यों को भेजा जाता है.  एनटीपीसी और डीवीसी  जैसी देश की सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियां यहां के कोयले पर निर्भर है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो