चाईबासा (CHAIBASA): पश्चिमी सिंहभूम जिला में भारतीय जनता पार्टी को पिछले छह साल से स्थाई जिलाध्यक्ष नहीं मिल रहे हैं, जो पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी को समाप्त कर जिले में मजबूत नेतृत्व के साथ कार्य कर सकें. आखिर किसकी नजर लगी है या फिर गुटबाजी के कारण जिलाध्यक्षों को कार्यकताओं या पार्टी पदाधिकारियों का सहयोग नहीं मिलने के कारण जिलाध्यक्ष अपनी जिम्मेदारी को पूरे कार्यकाल तक पूरा करने से पहले छोड़ देते हैं.
विपिन पूर्ति ने अपने पद से दिया इस्तीफा
पश्चिमी सिंहभूम जिला अध्यक्ष विपिन पूर्ति ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि उन्होंने 29 मई को इस्तीफा दिया है. उन्होंने अपने इस्तीफे की सूचना एक पत्र के माध्यम से प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को भेज दी है. अपने पत्र में विपिन पूर्ति ने कहा है कि वह कई कारणों से अपने दायित्व का निर्वहन अच्छे तरीके से नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष से आग्रह किया है कि किसी सक्षम कार्यकर्ता को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाए. पूर्ति ने यह भी कहा है कि वे आजीवन संगठन के लिए काम करते रहेंगे. उन्होंने जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी दिए जाने के लिए प्रदेश नेतृत्व का आभार व्यक्त किया है. लेकिन दूसरी सच्चाई कुछ और बयां कर रही है कि त्रीस्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी के कई पदाधिकारी और वरीय नेताओं के द्वारा अपने सगे-सबंधियों को चुनाव मैदान भाग्य आजमाने के लिए खड़ा किया था. लेकिन पार्टी और कार्यकताओं की ओर से सहयोग न मिलने के कारण प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा.
बार बार देखा गया जिले में हार का मुंह
हार का मुंह देखने का हाल केवल पश्चिमी सिंहभूम जिलाध्यक्ष विपिन पूर्ति के साथ ही नहीं हुआ है, इनकी पत्नी भी जिलापरिषद सदस्य के लिए चुनाव लड़ रही थीं. वहीं पूर्व मंत्री सह भाजपा नेता बड़कुंवर गगराई की सगी बहन बिमला गगराई को भी हार का सामना करना पड़ा. इन्हीं सभी कारणों से ही तंग आकर जिलाध्यक्ष विपिन पूर्ति ने भी इस्तीफा दिया. हालांकि, पूर्ति के इस्तीफा देने के बाद से कई पूर्व विधायक, महामंत्री प्रताप कटियार, भूषणपाठ पिंगुवा, राकेश उर्फ बबलू शर्मा, दिनेशचंद नंदी, शंभु हाजरा सहित कई नेताओं दौड़ में है, लेकिन किसके सर पर ताज पहनाया जाएगा यह तो प्रदेश अध्यक्ष ही तय करेंगे. मगर फिलहाल पश्चिमी सिंहभूम जिले का तारण हार कौन होगा इसकी तालाश में पार्टी जुटी है, जब जब संकट आता है तब तब भाजपा नेता बिनोद श्रीवास्व का नाम जुबान पर आता है क्योंकि श्री श्रीवास्तव ने ही कुशल नेतृत्व के साथ साथ पार्टी को पांच विधायक दिए थे.
विपिन पूर्ति भाजपा के 16वें जिलाध्यक्ष
पश्चिमी सिंहभूम जिला में छह वर्षो में चार जिलाध्यक्ष बने, लेकिन सभी जिलाध्यक्षों को कार्यकाल पूरा करने के पहले ही बीच में इस्तीफा देना पड़ा है. जबकि एक जिलाध्यक्ष का कार्यकाल 3 वर्ष के लिए होता है. इस प्रकार देखा जाय तो 2016 से 2022 के बीच यानी चार वर्षो में पार्टी को जिले में चार जिलाध्यक्ष देने पड़े है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है पश्चिमी सिंहभूम जिले में भाजपा पार्टी की क्या स्थिति है. साथ ही बुधवार को भाजपा जिलाध्यक्ष विपिन पूर्ति के त्याग पत्र देने के साथ ही नये जिलाध्यक्ष के लिए जोड़ तोड़ की शुरूआत हो चुकी है. बता दें कि विपिन पूर्ति भाजपा के 16वें जिलाध्यक्ष थे. इन्होनें 2020 सितंबर में अपना कार्यभार संभाला था. वैसे तो इनका कार्यकाल वर्ष का यानी 2023 तक के लिए था पर पिछले तीन जिलाध्यक्षों की जगह यह भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके.
विधानसभा चुनाव में जिले की पांचों विधानसभा सीट पर हार
पिछले छह वर्षो के दौरान केवल संजय कुमार पाण्डेय उर्फ संजू पाण्डेय ही अपना कार्यकाल पूरा कर सके थे. अपना कार्यकाल पूरा कर सके थे . वे 2011 से 2016 तक जिलाध्यक्ष पद पर काबिज रहे. फरवरी 2016 में जिलाध्यक्ष के चुनाव प्रभारी देवेंद्र सिंह ने गोविंद चंद्र पाठक को जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया था किंतु दिसंबर 2016 में ही उन्हें हटाकर दिनेश चंद्र नंदी को जिलाध्यक्ष की बागडोर सौंपी गई थी. लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय के बाद जून 2019 में दिनेश चंद्र नंदी ने भी अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था और विधानसभा चुनाव के दौरान मनीष कुमार राम को जुलाई 2019 में जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी. विधानसभा चुनाव में जिले की पांचों विधानसभा सीट पर पार्टी की शर्मनाक पराजय के बाद मनीष कुमार राम ने सितंबर 2020 में त्याग पत्र दे दिया था. इसके बाद जिले की कमान विपिन पूर्ति को सौंपी गई और पूर्ति भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके क्योंकि गैर दलीय आधार पर हुए त्रीस्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी को बहुत बुरी तरह हार का सामना देखना पड़ा है.
रिपोर्ट: संतोष वर्मा, चाईबासा
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