टीएनपी डेस्क(TNP DESK): भारत की और से पाकिस्तान में ऑपरेशन सिन्दूर को अंजाम देने के बाद पाकिस्तान पूरी तरह से बौखला गया है. जिसके बाद भारत पाकिस्तान तनाव काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है. देश में युद्ध जैसा माहौल है. इसी के बीच एक गांव की चर्चा काफी जोरों शोरों से हो रही है. जिसको फौजी गांव के नाम से जाना जाता है. यह गांव इसलिए सभी गांवों से अलग और खास है, क्योंकि इस गांव में हर घर से एक या दो सेना का जवान सरहद पर अपने देश की रक्षा के लिए खड़ा है.
काफी प्रेरणादायी है गांव की कहानी
आपको बताएं कि बिहार से बहुत सारे युवा देश प्रेम से ओतप्रोत होकर सेना में भर्ती होते है लेकिन आज हम बिहार के एक ऐसे गांव के बारे में बतानेवाले है. जिसको फौजी गांव के नाम से लोग जानते है. यह गांव अपने आप में काफी प्रेरणादायक है, तो वहां की कहानी काफी ज्यादा दिलचस्प है यहां के अधिकतर घरों से एक या दो सेना या अर्धसैनिक बलों में अपनी सेवा दे रहे है. जो काफी गर्व की बात है.
फौजी गांव के नाम से मशहूर है गांव
आपको बताये कि फौजी गांव यानि वीलेज ऑफ आर्मी बिहार के गया जिले के मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर बथानी सब डिवीजन के चिरियावां गांव में है. यहां के युवा जन्म से ही देश भक्ति और देश प्रेम से ओतप्रोत होते है. यहीं वजह है कि हर घर से यहां सेना में जवान देश की रक्षा के लिए लगे हुए है. चलिए इस गांव की दिलचस्प कुछ बातों के बारे में हम आपको बताते है.
पूरे निडर तरीके से रहते है गांव के लोग
जिस तरह से अभी भी भारत-पाकिस्तान में तनाव का माहौल है उसको देखकर पूरे देश में लोग काफी ज्यादा चिंतित है, लेकिन इस गांव में हर घर का सदस्य सेना में होने के बावजूद गांव के लोग तरीके से बेफिक्र है, और अपने-अपने दिनचार्य के काम में लगे हुए है. वहीं कुछ युवा फौज में भर्ती के लिए अपने दौड़ की प्रैक्टिस कर रहे है. गांव के लोग इतने निर्भीक निडर और साहसी हैं कि उन्हें इस बात का जरा भी फिक्र नहीं है कि उनका बेटा अगर शहीद हो जाता है तो उनका क्या होगा. उनके मन में देश प्रेम की ऐसी भावना है अगर उनका बेटा देश की रक्षा करते हुए शहीद होता है तो उनके लिए गर्व की बात है.उनका कहना है कि अगर उनका एक बेटा शहीद होगा तो दूसरा बेटा फिर से सेना में भर्ती होगा. देश प्रेम की ऐसी भावना शायद ही के कहीं देखने को मिलेगी.
गांव के लोगों में गजब का उत्साह
गांव के लोगों का साफ कहना है कि अपने बेटे को सरहद की रक्षा के लिए भेजा है तो फिर चिंता की क्या बात है. उनके बेटे का यह फर्ज बनता है कि वह अपने कर्तव्य प्रशिक्षण के बदौलत दे फौजी का यह कर्तव्य बनता है कि वह युद्ध में अपने पूरी ताकत झोंक दे, यदि वह देश पर शहीद भी हो जाता है तो उसके लिए सम्मान और गर्व की बात होगी.वहीं गांव के लोग पूरे तरीके से जागरूक है.देश की सीमा पर और देश में क्या कुछ हो रहा है पल-पल की खबर रखते है. हालांकी वे अपने फौजी सदस्य से किसी तरह की कोई बात नहीं करते ना ही चेहरे पर चिंता नजर आती है.उनके अंदर काफी ज्यादा उत्साह नजर आता है और गर्व होता है कि उनका बेटा देश की सेवा में लगा है. गांव के लोग फौजियों का हौसला बढ़ाने में पूरी तरह से लगे रहते है ताकि उनके हौसलों में किसी तरह की कोई कमी ना आए और उनका विश्वास टूटे ना.
नौकरी के बाद ही युवा करते है शादी
आपको बताये कि चिड़ियाघर के गांव फौजियों के गांव के नाम से काफी ज्यादा मशहूर है. इसके पीछे की वजह यही है कि भारतीय सेना में 100 से ज्यादा लोग इस गांव से अपनी सेवा दे रहे हैं गांव के युवा का युवाओं का कहना है कि जब तक वह फौज में भर्ती नहीं हो जाते तब तक शादी ब्याह करना उनके लिए पाप है. नौकरी होने के बाद ही शादी करना इस गांव की युवाओं की परंपरा बन गई है.
50 सालों से कोई जवान नहीं हुआ है शहीद
वहीं इस गांव की तरफ से गौरवान्वित करने वाली बात यह है कि चिड़ियावां गांव से निकले सेना के जवान पीछले 50 सालों से कोई भी वीरगति को प्राप्त नहीं हुआ है. इस पर गांव के लोग देवी मां की कृपा और आशीर्वाद बताते है. लोग कहते हैं कि इस गांव में देवी माता की विशेष कृपा है, यही वजह है कि पिछले 50 सालों से इस गांव के युवा जो सेना में अपनी सेवा दे रहे हैं उनमे से किसी को कुछ मामुली छोटे आयी है लेकिन कोई वीरगति को प्राप्त नहीं हुआ है.
वर्दी पहनकर गांव में प्रवेश नहीं करते है जवान
चिड़ियावां गांव में पिछले 50 साल से एक परंपरा पूरे जज्बे के साथ निभाई जाती है जहां कोई भी सेना का जवान वर्दी पहनकर गांव में प्रवेश नहीं करता है,लेकिन यहां एक और परंपरा है जो काफी दिल को छूने वाली है. कहा जाता है कि चिड़िया गांव में एक देवी माता का मंदिर है जहां बहुत बड़ा मैदान है इसी मैदान में गांव के युवा फौजी बनने की तैयारी करते है. जब नौकरी लग जाती है तो वहां घर से वर्दी पहन कर नहीं निकलते हैं बल्की मंदिर में जाकर पहले माता को प्रणाम करते हैं और फिर वर्दी पहन कर सीधे सरहद पर देश रक्षा के लिए निकल जाते है.कहा जाता है कि देवी माता की फौजियों पर विशेष आशीर्वाद है. यही वजह है कि पिछले 50 साल से किसी भी फौजी की जान नहीं गई है.
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