रांची(RANCHI): झारखंड विधानसभा के न्यायाधीकरण में दल बदल मामले में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मारांडी की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है.दल बदल मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है. बस अब फैसले का इंतजार है. वहीं इस बीच बाबूलाल मरांडी ने झारखंड हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर किया है. याचिका में उन्होंने न्यायधीकरण के सुनवाई पर सवाल उठाया है.        

भाजपा विधायक दल के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की सदस्यता से जुड़े दलबदल मामले  को वर्त्तमान परिस्थितयों के लिहाज से फैसला काफी अहम होगा.विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने  बाबूलाल मरांडी के दलबदल मामले में 10 बिंदुओं पर चार्जफ्रेम कर मामले की सुनवाई की है. यह सुनवाई लगभग डेढ़ वर्ष तक चली है. अब सभी की निगाहें विधानसभा पर टिकी है.     

बाबूलाल का आरोप बिना गवाही और बहस के फैसला सुरक्षित रखा

बाबूलाल मरांडी ने झारखंड हाईकोर्ट में दायर रिट याचिका में बताया है कि बिना बहस और गवाही के फैसला सुरक्षित रखा गया है. बाबूलाल मरांडी की ओर से अधिवक्ता ने दायर रिट याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में विशेष मेंशन किया है.

पूरा मामला.

2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के सिंबल पर निर्वाचित सदस्यों में बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के खिलाफ कुल 7 मामले स्पीकर न्यायाधिकरण में दर्ज हैं. दिसंबर 2020 में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ कांग्रेस विधायिका दीपिका पांडे सिंह, विधायक भूषण तिर्की, विधायक प्रदीप यादव और पूर्व विधायक बंधु तिर्की और राजकुमार यादव ने दसवीं अनुसूची के तहत दल बदल  से संबंधित शिकायत की है.  शिकायतों पर स्पीकर न्यायाधिकरण में दलबदल मामले में आज एक अहम सुनवाई बाबूलाल मरांडी की सदस्यता पर होगी. वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के बीच ऐसी कयास लगाई जा रही है कि बाबूलाल की सदस्यता स्पीकर न्यायाधिकरण में झारखंड विधान सभा के स्पीकर रविंद्र नाथ महतो के द्वारा रद्द की जा सकती है.

आपको बता दें कि बाबूलाल मरांडी ने भाजपा से अलग होकर अपनी एक अलग पार्टी बनाई थी,  झारखंड विकास मोर्चा के नाम से 2019 के विधानसभा चुनाव के समय झारखंड विकास मोर्चा के सिंबल से बाबूलाल मरांडी के साथ साथ बंधु तिर्की  और प्रदीप यादव ने भी जीत दर्ज की थी.  विधानसभा चुनाव  के बाद  बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा पार्टी का विलय भाजपा में कर लिया. भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें सहर्ष स्वीकार करते हुए अपने विधायक दल का नेता चुना लेकिन झारखंड विधानसभा में इन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला. झारखंड विधानसभा में कई सत्र चले ,लेकिन उसमें नेता प्रतिपक्ष की भूमिका नहीं रही.