कैमूर(KAIMUR): बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि किसानों के हित में राज्य के भीतर कृषि कानून बनेगा. जितनी भी मंडियां बंद हैं सभी खुलेंगी. बाजार समिति मोहनिया को 50 करोड़ की लागत से आधुनिक बनाया जाएगा. मंत्री दुर्गावती में अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे. जिसमें उन्होंने कहा कि 1990 के दशक से उत्पादन बढ़ा और तब की सरकारों के द्वारा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी दिया जा रहा था. यही नहीं बाजार समिति यानी मंडियों के जरिए हर तरह के अनाज की खरीद बिक्री होती थी, लेकिन 2006 के बाद बिहार की सभी बाजार समितियों को बंद कर दिया गया, यही कारण है कि किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिलना बंद हो गया. उन्होंने कहा कि देश के किसानों के पास खेती आमदनी का जरिया है और जब खेती में घाटा होगा तो इसका खामियाजा किसान, मजदूर के अलावा सरकार को भी भुगतना पड़ेगा.
कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने केंद्र की भाजपा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि किसान सम्मान निधि के नाम पर साल में ₹6000 दिया जा रहा है एक परिवार में 5 सदस्य हैं, मतलब साल में पांच छह सदस्यों के नाम पर जोड़ दें तो वह रेवड़ी हो जाएगा. लेकिन रसोई गैस का दाम बढ़ा हर साल हजारों करोड़ आम आदमी से ले लिया जा रहा है.
उन्होंने तथाकथित चावल घोटाला के संदर्भ में कहा कि 2003 में बिहार के भीतर 1700 राइस मिल लगी जो 10 सालों तक चलती रही. लाखों लोगों को रोजगार मिला, लेकिन सरकार की एक गलत नीति और सिस्टम की हिस्सेदारी बिहार के भीतर राइस मिल को चौपट कर गई. उन्होंने कहा कि इन राइस मिलों के निर्माण पर तीन हजार करोड़ रुपए का निवेश किया गया था. इतना ही नहीं दो हजार करोड़ रुपए लोगों ने कर्ज भी लिया था.
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कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि जब देश और प्रदेश सूखे की चपेट में हैं तब बिहार का कृषि मंत्री बना हूं. जिम्मेदारियां और जवाबदेही हमारी है. साल 1966 के सूखा का असर सितंबर-अक्टूबर महीने में हुआ था, लेकिन इस साल का सूखा जून-जुलाई माह से दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में रामगढ़ धूरी रहा है. दिल्ली की ताकत भी यूपी-बिहार कर्मनाशा बॉर्डर पर आते आते थम जाती है. जिस भाजपा और संघ के लोग 1947 की आजादी को आजादी नहीं मानते आज उनके द्वारा अमृत महोत्सव के नाम पर तिरंगा फहराया जा रहा है, उन लोगों को भी अब आजादी समझ में आई है.
वहीं, सूखे के सवाल पर मंत्री ने कहा कि पहले से ही कानून है. सूखा क्षेत्र घोषित होने पर दो तरह के मुआवजा का प्रावधान है. पहला जिन खेतों में फसल ना लगी हो उसका मुआवजा और एक मुआवजा वह जिन खेतों में फसल लगी हो लेकिन फसल पकने से पहले वह चौपट हो गई. निश्चित तौर पर बिहार सूखे की चपेट में है, किसानों की भरपाई सरकारें नहीं कर सकती लेकिन मैं अधिक से अधिक राहत देने का काम करूंगा. साथ ही अगली फसल के लिए खाद बीज की उपलब्धता होगी. कार्यक्रम को राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा, राजेंद्र प्रजापति, प्रखंड प्रमुख दुर्गावती ने भी संबोधित किया.
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