टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने लोगों को मां-माटी-मानुष-दिवस को लेकर शुभकामनाएँ दी है. ममता ने अपने ट्वीटर हंडेल पर एक वीडियो संदेश जारी किया हैं, जिस संदेश में उन्होंने लोगों को शुभकामना देने के साथ उनका अब तक साथ देने के लिए भी शुक्रिया अदा किया है, वही इस वीडियो में भी ममता मोदी को नही भूलती. यहाँ भी उन्होंने सरकार पर जमकर निशाना साधा और लोगों से कहां की इस देश में परिवर्तन होना जरूरी हैं. अब इस परिवर्तन शब्द का अर्थ सीधे-सीधे सरकार बदलने से हैं. वही आने वाले चुनाव को लेकर ममता ने विपक्षी पार्टी से एक अपील भी कर डाली. जिससे ये तो साफ है की बीजेपी को हराना विपक्षी पार्टी के लिए एक कड़ी चुनौती है.

बीजेपी को हराने के लिए होना होगा एकजुट - ममता  

ममता में अपने इस वीडियो संदेश में बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा की अगले साल इलेक्शन हैं. जब इन 12 सालों में हम इतना कुछ कर सकते हैं तो क्यों एक झुटा गोवर्मेंट एक अत्याचारी गोवर्मेंट का 10 साल में हम कुछ भी नही कर पाए. इस सरकार ने जुमला पॉलिटिक्स की, नोट बंदी की, NRC के नाम पर धोका दिया. तो फिर हम ऐसे गोवर्मेंट को क्यों सपोर्ट करें. उन्होंने अपने बात को आगे रखे हुए कहा कि हम आज के दिन सब ओपोसीशन पार्टी से कहना चाहेंगे कि आइए सब एक जुट हो जाते हैं. ऐसा करने से बीजेपी जरूर हारेगी. भारत बेहतर के लिए बदलाव का हकदार है. जनता की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं होती. भारत विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ जंग जीत जाएगा. ऐसे में ये एक जुट होने की बात से ये तो साफ हैं पार्टी चुनाव में अपनी जीत को लेकेर डरी हुई हैं.  

 

क्या हैं माँ-माटी-मानुष दिवस

ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार सत्ता में जीत दर्ज की. जिसके बाद ममता ने 2 मई को इसे "मा-माटी-मानुष" दिवस के रूप में मनाने का घोषणा की. ममता ने ट्वीट कर कहा था कि "मैं अपनी मां-माटी-मानुष की सदा आभारी हूं कि उन्होंने पिछले साल इसी दिन बंगाल के अदम्य साहस को उच्च और शक्तिशाली लोगों को दिखाया था. पश्चिम बंगाल के लोगों ने दुनिया को दिखाया है कि "लोकतंत्र में लोगों की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं है".

हमारे लोगों ने दुनिया को दिखाया कि लोकतंत्र में जनता की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं होती.  सच्चे राष्ट्र निर्माण के लिए हमारी प्रतिबद्धता जारी रहनी चाहिए, क्योंकि अभी और भी कई लड़ाइयाँ एक साथ लड़ी जानी हैं और एक साथ जीती जानी हैं. मैं इस दिन को मा-माटी-मानुष को समर्पित करता हूं और आग्रह करता हूं कि इस दिन को आगे से मा-माटी-मानुष दिवस कहा जाए. जिसके बाद अब बंगाल के लोग इस दिन को माँ-माटी-मानुष के रूप में मानते हैं.