रांची (RANCHI): पिछले सप्ताह ही खान लीज मामले में हेमंत सोरेन की सुनवाई चुनाव आयोग में पूरी हुई, तब से आशंका व्यक्त की जाने लगी थी कि उनकी विधायकी जा सकती है. इसके साथ ही इस क़यास को उस दिन सबसे अधिक बल मिला, जब यूपीए के विधायकों की बैठक हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई. हालांकि तब कहा गया कि राज्य में सुखाड़ की स्थिति पर ही बैठक में विचार-विमर्श हुआ. लेकिन अंदर की खबर ये उजागर हुई थी कि सभी विधायकों से उस समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करा लिये गए हैं, जिसे किसी अनहोनी पर राज्यपाल को सौंपा जा सके. इस बीच राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली चले गए. सियासी गलियारे में हलचल तेज हुई. कहा गया कि वो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मिलकर राज्य के राजनीतिक हालात पर सलाह-मश्विरा करेंगे. अब सुबह से मीडिया में खबरें चलने लगीं कि चुनाव आयोग ने अपना मंतव्य पत्र राज्यपाल को सौंप दिया है. जिसमें हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द होने की बात लिखी हुई है. इसके बाद से अगर और मगर के बीच तरह-तरह की बातें की जा रही हैं. हालांकि राज्यपाल ही अब स्पष्ट करेंगे. चलिये हम पूरे घटनाक्रम को समझने की कोशिश करते हैं.
पहले खनन लीज मामले को जानिये
हेमंत सोरेन पर आरोप है उन्होंने रांची के अनगड़ा मौजा में अपने और अपने रिश्तेदार के नाम खनन लीज पट्टा हासिल किया है. जब ऐसा किया गया, तब वो न सिर्फ मुख्यमंत्री के पद रहे बल्कि खनन मंत्रालय भी उनके ही अधीन है. इसे पद का दुरुपयोग का मामला कहा जाता है. मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए ऐसा करना जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9(A) के तहत गंभीर मामला है. इसके बाद राज्यपाल ने हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने को लेकर चुनाव आयोग की राय मांगी थी. गुरुवार को चुनाव आयोग ने रिपोर्ट राजभवन भेज दी है. लिफाफा देखकर तहरीर भांपने वाले तब से कह रहे हैं कि आयोग ने राज्यपाल को सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है.
अगर विधायकी गई तो क्या होगा
यदि हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद्द होती है, तो उनके मुख्यमंत्री पद पर रहने पर कोई दिक्कत नहीं होगी. सिर्फ उन्हें फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी होगी. उसके बाद छह माह के अंदर चुनाव जीतकर उन्हें विधायक बनना होगा.
यदि चुनाव लड़ने पर ही लग गई रोक
यदि हेमंत सोरेन की विधायकी रद्द होने के साथ यदि उनके चुनान लड़ने पर रोक लगा दी जाती है, तो कई तरह की मुश्किलें सरकार के समक्ष खड़ी हो सकती हैं. ऐसी स्थिति में महागठबंधन को नये नेता का चुनाव करना होगा. इसपर सभी की सहमति का होना जरूरी है. क्योंकि गठबंधन में झामुमो के अलावा कांग्रेस, राजद के अलावा दो-तीन और छोटी पार्टियों के विधायक शामिल हैं.
अब मुख्य साल का जवाब तलाशिये, अगला सीएम कौन
अब सवाल उठता है कि सूबे का अगला मुखिया कौन होगा. परिवार से लेकर बाहर तक के नामों की चर्चा चल रही है. सबसे पहला नाम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का सामने आ रहा है. उनका जन्म भले रांची में ही 1976 में हुआ है, लेकिन मूलत: वह ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली हैं. हेमंत सोरेन से 7 फरवरी 2006 को उनकी शादी हुई थी. उनका परिवार अब भी मयूरभंज में ही रहता है. लेकिन उनके पूरे परिवार का रांची से पुराना संबंध रहा है. हेमंत की पहली पंसद वही हो सकती हैं, उनके करीबियों की भी चाहत होगी कि पद भाभीजी के पास ही रहे. लेकिन क्या परिवार में ही उनके नाम पर रज़ामंदी रहेगी. क्योंकि झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन, उनकी बड़ी बहू सीता सोरेन और उनके छोटे पुत्र बसंत सोरेन भी इस दौड़ में शामिल बताए जाते हैं. दूसरी ओर कल्पना का राजनीति से दूर-दूर तक नाता नहीं है. लेकिन राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर वह जरूर रही हैं. पिछले दिनों भाजपा के कई नेताओं ने राज्यपाल से शिकायत की थी कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अपनी पत्नी के स्वामित्व वाली कंपनी को जमीन दिलाने का काम किया है. इसके अलावा कल्पना सोरेन के नाम कई भूखंड खरीद मामले में भी सवाल उठ चुके हैं. यदि कल्पना पर सहमति नहीं बनी तो पहले भी सीएम रह चुके गुरुजी (हालांकि उनका स्वास्थ्य लगातार ठीक नहीं रह रहा है, उन पर भी कई मामले चल रहे हैं), उनकी पत्नी रुपी सोरेन, उनके दिवंगत बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन की विधायक पत्नी सीता सोरेन और विधायक पुत्र बसंत सोरेन (इनपर भी अयोग्यता की तलवार लटक रही है) को सीएम बनाए जाने की बात कही जा रही है.
इन वरिष्ठ नेताओं पर भी दांव खेल सकता है झामुमो
सोरेन परिवार से सीएम बनाए जाने पर झामुमो के बीच ही सहमति और असहमति की बात कही जा रही है. क्योंकि पार्टी में कई वरिष्ठ और अनुभवी लोग हैं. कई टर्म मंत्री भी रह चुके हैं. इनमें परिवहन मंत्री चंपई सोरेन और महिला और बाल विकास मंत्री जोबा मांझी का नाम सबसे आगे चल रहा है. दोनों ही हेमंत सोरेन के सबसे करीब भी हैं. दोनों ने शिबू सोरेन के साथ लंबे समय तक काम किया है. अगर हेमंत सोरेन परिवार के बाहर के किसी सदस्य को चुनते हैं तो इन दोनों की दावेदारी सबसे ज्यादा मजबूत बताई जा रही है.
Recent Comments