टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बिहार की बिसात ही सियासत है. और सियासत है तो उठापटक भी होना लाजिमी है. यही उठापटक का माहौल अभी बिहार की वर्तमान राजनीति में भी बनी हुई है. लंबे समय से सरकार में साथ रहने वाले जदयू और बीजेपी की सरकार गिर चुकी है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालन सिंह ने बीजेपी से गठबंधन टूटने का एलान कर दिया है. गठबंधन टूटने के बाद अब नीतीश कुमार किसके साथ सरकार बनाते हैं, ये देखने वाली बात होगी.
मगर, बिहार की सियासत का ताजा अपडेट ये है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के राज्यपाल फागु चौहान से मिलने जा रहे हैं. राज्यपाल ने मिलने के लिए दो बजे का समय दिया है. इसके साथ ही ये भी खबर है कि बीजेपी कोटे के सभी 16 मंत्री राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने वाले हैं. हालांकि, नीतीश कुमार इस्तीफा देंगे या नहीं इसके बारे में अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं. 2013 में जब वो बीजेपी से अलग हुए थे तब उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था. मौजूदा समय में आखिर चीजें कब और कैसे बिगड़नी शुरू हुई, ये जानने से पहले हम थोड़ा पीछे की कहानी को रिकैप कर लेते हैं.
बीजेपी और जदयू गठबंधन की शुरुआत
नीतीश और बीजेपी में सियासी गठबंधन पहले भी बनता और बिगड़ता रहा है. बीजेपी और जदयू के गठबंधन की शुरुआत 1998 में हुई थी. इसके बाद से लगातार दोनों पार्टियां साथ में चुनाव लड़ रही थी. 2005 विधानसभा चुनाव में पहली बार ये गठबंधन सत्ता में आई और नीतीश कुमार पहली बार पूर्ण समय के लिए मुख्यमंत्री बने. पूर्ण समय के लिए इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि नीतीश इससे पहले 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री रहे थे. 2005 के बाद बीजेपी और जदयू की गठबंधन की सरकार ने 10 वर्षों तक बिहार में सरकार चलाई. मगर, 2015 विधानसभा में नीतीश ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ कर अपने पुराने सहयोगी लालू प्रसाद यादव से हाथ मिला लिया. 2015 में जदयू और राजद के गठबंधन की सरकार बनी. इस सरकार में कांग्रेस भी शामिल थी. मगर, 2 साल के सरकार के बाद ही नीतीश ने राजद से गठबंधन तोड़ दिया. 26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके ठीक एक दिन बाद 27 जुलाई को तुरंत ही नीतीश ने अपने पुराने साथी बीजेपी के साथ गठबंधन कर नई सरकार भी बना ली. इसके बाद से ये सरकार चल रही थी.
कैसे आया गठबंधन में दरार
चलिए अब ये जानते हैं कि बीजेपी और जदयू के बीच इस बार सियासी ब्रेकअप की कहानी शुरू कहां से हुई. दरअसल, केंद्र की कई योजनाओं जैसे CAA, NRC जैसे स्कीम, बीजेपी की नाम बदलने की सियासत आदि कई योजनाओं का नीतीश खुल कर विरोध करते रहे हैं. हालांकि, इसके बाद भी उनके गठबंधन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. इस बार उनके गठबंधन में दर्रा की मुख्य वजह केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जदयू को जगह ना देने को माना जा रहा है. जदयू के पूर्व अध्यक्ष और आरसीपी सिंह जदयू कोटे से केंद्र में मंत्री थे. मगर, इस बार जदयू ने आरसीपी सिंह को राज्यसभा नहीं भेजा. इसके बाद आरसीपी सिंह ने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया. वहीं आरसीपी सिंह के इस्तीफा देने के बाद बीजेपी ने जदयू के किसी और नेता को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया. जदयू केंद्र में एक कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री चाह रहा था. मगर, बीजेपी ने इस पर कुछ भी ध्यान नहीं दिया. साथ ही बीजेपी ने बिहार में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की. इस बैठक के दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह पटना पहुंचे और उन्होंने रोड शो भी किया. इन दोनों ही जगहों पर बीजेपी ने नीतीश कुमार को नहीं बुलाया. इसके साथ ही इसके पहले भी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली पर नीतीश कुमार के खिलाफ बोलते रहे हैं. यही विवाद गठबंधन में चल रहा था.
आरसीपी सिंह के इस्तीफे के बाद आया नया मोड़
इस गठबंधन में और नया मोड तब आता है जब आरसीपी सिंह ने जदयू से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर हमला भी बोला. इसके बाद जदयू प्रदेश अध्यक्ष ललन सिंह नीतीश कुमार के बचाव में आए और आरसीपी सिंह पर पलटवार किया. इस पलटवार में उन्होंने बीजेपी पर भी बिना नाम लिए ही तंज भी कसा. इतना हो ही रहा था कि नीति आयोग की बैठक हुई. उसमें सभी राज्य के मुख्यमंत्री पहुंचे. मगर, नीतीश कुमार उसमें शामिल नहीं हुए. जबकि वो राज्य में दूसरे कार्यक्रम में शामिल रहे. इसके पहले राजद द्वारा बार-बार नीतीश को उनके गठबंधन में शामिल होने का भी निमंत्रण मिलता रहा. इन्हीं सब के बीच नीतीश और बीजेपी के बीच का गठबंधन अब टूटने की कगार पर पहुंच गया है.
सोनिया गांधी से नीतीश ने फोन पर की थी बात
इस गठबंधन के टूटने की खटपट के बीच एक और कहानी चल रही थी. सूत्र बताते हैं कि इस दौरान सोनिया गांधी ने नीतीश कुमार से फोन पर बात की. जिसमें दोनों के बीच गठबंधन और सरकार बनाने के बारे में चर्चा की गई. वहीं जब नीतीश की सोनिया गांधी से बात की खबर आई थी कि उसके बाद ये भी खबर आई कि गृह मंत्री अमित शाह ने भी नीतीश कुमार से फोन कर बात की है. मगर, अब देखकर लगता है कि नीतीश कुमार और अमित शाह के बीच हुई बातचीत का कोई हल नहीं निकला. क्योंकि अगर कुछ निकला होता तो बीजेपी के मंत्री इस्तीफा नहीं दे रहे होते. ‘
राजद में भी हलचल शुरू
इस पूरे मामले पर राजद के अंदर भी हलचल शुरू हो गई है. लालू प्रसाद यादव के आवास पर राजद की बैठक चल रही है. बैठक के बारे में कोई भी नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. सभी नेताओं के फोन भी लालू आवास के बाहर ही रखवा लिए गए हैं. अब राजद और जदयू हो या कांग्रेस जो भी फैसला ले. मगर, बिहार की सियासत की कहानी हमेशा से ही दिलचस्प रही है और इस बार भी काफी दिलचस्प होने की संभावना बनी हुई है.
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