Ranchi- झारखंड सरकार के विभिन्न कार्यालयों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से की जा रही नियुक्तियों को कोढ़ की संज्ञा देते हुए पूर्व मंत्री भानू प्रताप शाही ने इसे झारखंडी युवाओं के शोषण का एक नया तरीका बताया है.राज्य सरकार से तत्काल इस मामले की जांच करने की अपील करते हुए उन्होंने आउटसोर्सिंग कर्मियों के अधिकारों की रक्षा की मांग की है. उनका दावा है कि यदि आउटसोर्सिंग से माध्यम से मानव संसाधन उपलब्ध करवानी वाली कंपनियों की जांच की जाय तो ना सिर्फ इन कंपनियों की लूट सामने आयेगी बल्कि राज्य के कई मंत्री भी जांच के घेरे में आ जायेगें.
आउटसोर्सिंग शिक्षित बेरोजगार युवाओं के शोषण का आधुनिक तरीका
भानू प्रताप शाही ने कहा कि आउटसोर्सिंग शिक्षित बेरोजगार युवाओं के शोषण का आधुनिक तरीका है. अधिकारियों ने एक ऐसे फार्मूले का इजाद किया है जिससे कि बगैर किसी जिम्मेवारी के सरकारी कार्यालयों में मानव संसाधन उपलब्ध हो जाय. लेकिन यह पूरी प्रक्रिया ही शोषण पूर्ण है, शिक्षित बेरोजगार युवाओं का शोषण है, आउटसोर्सिंग के इस खेल में कई कंपनियां शामिल है, सरकारी कार्यालयों में उनका बड़ा नेटवर्क पसरा है, यह कंपनियां एक साल के कॉन्ट्रेट पर युवाओं को काम पर रख कर उनका शोषण करती है, मनमाने नियमों के मकड़जाल में जकड़ लिया बेरोजगार युवाओं का शोषण करती है, राज्य के कई मंत्रियों का भी इन कंपनियों के साथ गांठ है. मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को तत्काल इसकी जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
यहां ध्यान रहे कि झामुमो ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में आउटसोर्सिंग कर्मियों को नियमित करने का दावा किया था. लेकिन अब तक इन कर्मियों की सुध नहीं ली गयी है. जिसके कारण आउटसोर्सिंग कर्मियों में निराशा बढ़ती जा रही है, आउटसोर्सिंग कर्मियों का कहना है कि उनसे काम तो सरकारी कर्मी की तरह ही लिया जाता है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिलता, कंपनी जब चाहे उन्हे काम से निकाल देती है, जिसके कारण उनके अन्दर हमेशा डर बना रहता है, उनकी आजीविका असुरक्षित रहती है.
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