धनबाद(DHANBAD) - 2015  में धनबाद नगर निगम का चुनाव  कम रोमांचकारी नहीं था.  लेकिन 2023 में जो चुनाव प्रस्तावित है ,वह उससे कहीं अधिक रोमांचकारी होगा, ऐसा राजनीतिक पंडित मानते है. हर पार्टी और निर्दल  की लंबी फेहरिस्त  है.  इस फेहरिस्त में नए -नए नाम जुड़ते जा रहे हैं और इसके साथ ही चुनाव के पहले का  रोमांच बढ़ता जा रहा है.  जैसी की जानकारी मिल रही है पूर्व बियाडा अध्यक्ष विजय कुमार झा भी इस बार ताल ठोकेंगे.  सांसद पशुपतिनाथ सिंह के बेटे के नाम की भी खूब चर्चा है. 

 बता दें कि विजय झा सक्रिय राजनीति से अलग हो गए थे, लेकिन इस बार अपने समर्थकों के दबाव पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है.  लड़ते हैं या नहीं, यह तो समय बताएगा लेकिन चौक- चौराहों पर निगम चुनाव की चर्चा शुरू हो गई है.  आपको बता दें कि 2015 के चुनाव में भाजपा के ही चंद्रशेखर अग्रवाल विजयी हुए थे.  हालांकि उस वक्त भी खूब उठापटक चला था.  धनबाद के उद्योगपति प्रदीप संथालिया उम्मीदवार थे.  बाद में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया.  लेकिन ऐसा निर्णय बहुत देर से उन्होंने लिया .  भाजपा समर्थित उम्मीदवार होने के लिए खूब उठापटक हुआ,  लेकिन अंत में झरिया के राजकुमार अग्रवाल को भाजपा ने अपना समर्थित उम्मीदवार बनाया.  

बावजूद चंद्रशेखर अग्रवाल और भृगुनाथ भगत मैदान में डटे रहे.  आखिरकार जीत का सेहरा चंद्रशेखर अग्रवाल के सिर पर गया.  उस समय भी भाजपा में पर्दे के पीछे से बड़े-बड़े खेल हुए लेकिन इन सब खेलो को लांघते -फांदते   चंद्रशेखर अग्रवाल जीत  गए.  दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के शमशेर आलम.  हालांकि इस बार सिरफुटौव्वल  कुछ अधिक है.  भाजपा की बात करें तो चंद्रशेखर अग्रवाल जो कि सीटिंग मेयर है, तो उनका दावा तो बरकरार है.  इसके अलावा बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो की पत्नी सावित्री देवी, भाजपा नेता अंकेश राज ,राजकुमार अग्रवाल ,भृगुनाथ भगत सहित और कई  उम्मीदवार बन सकते है.  ऐसे में पार्टी नेतृत्व के लिए भी समस्या होगी कि किसे समर्थित उम्मीदवार घोषित किया जाये. 

 कांग्रेस में भी सूची कम नहीं है.  झामुमो का भी वही हाल है.  शमशेर आलम पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर थे इसलिए वह दावा   जरूर करेंगे. इसके अलावा रविंद्र वर्मा का भी नाम उछल  रहा है.  जेएमएम की बात करें तो विधायक मथुरा महतो के बेटे दिनेश महतो, देबू  महतो का नाम भी चल रहा है.  आजसू की ओर से मंटू महतो चुनाव लड़ सकते हैं जबकि राजद के उमेश यादव  अपनी किस्मत अजमा सकते है. ऐसे में कहा जा सकता है कि धनबाद नगर निगम का चुनाव केवल राजनीतिक पार्टियों की अग्निपरीक्षा ही नहीं होगी बल्कि कुछ नए लोगो  के भाग्य का भी फैसला  करेगा.