रांची(RANCHI): मुख्यमंत्री आवास में शनिवार को यूपीए विधायक दल की बैठक हुई थी. बैठक से निकलने के बाद सभी मंत्रियों और विधायकों ने एक सुर में कहा था बैठक में सुखाड़ की स्थिति पर चर्चा हुई थी. लेकिन The News Post को अंदरखाने से खबर मिली है कि बैठक में मौजूद सभी विधायकों से समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर ले लिए गए है. हालांकि समर्थन पत्र पर किसी चेहरे का नाम नहीं था. अब आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर समर्थन पत्र पर विधायकों के हस्ताक्षर क्यों लिए गए. चलिए अब हम आपको बताते है पूरा मामला क्या है. सरकार उस समर्थन पत्र का इस्तेमाल किस परिस्थिति में कर सकती है.

दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अनगड़ा माइनिंग लीज केस में भारत निर्वाचन आयोग की सुनवाई पूरी हो गई है. खबरें ये चल रही हैं कि फैसला कभी भी आ सकता है. और अंदेशा ये भी लगाया जा रहा है कि फैसला सीएम के खिलाफ आ सकता है. मिली जानकारी के अनुसार इसी के मद्देनजर शनिवार की बैठक रखी गई थी. और विकट परिस्थिति में यूपीए का नेतृत्व कौन करेगा. इसपर चर्चा हुईऔर समर्थन पत्र पर विधायकों के हस्ताक्षर करवाए गए हैं.

राज्यपाल गए हैं दिल्ली

भारत निर्वाचन आयोग के मामले में राज्य के राज्यपाल की भूमिका काफी अहम हो जाती है. क्योंकि भारत निर्वाचन आयोग बंद लिफ़ाफ़े में अपना फैसला राज्यपाल को ही सौंपता है. राज्य में राजनीतिक सुगबुगाहट के बीच राज्यपाल का दिल्ली दौरा कई सवाल पैदा करता है. खैर राज्यपाल दिल्ली किस काम से गए हैं. इसकी आधिकारिक पुष्टि फिलहाल नहीं हुई है. कहा गया है कि पारिवारिक कारण से गए हैं. हालांकि इस बीच वहां वो पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी मिल सकते हैंं.

शनिवार की बैठक के बाद ज्यादातर विधायक मीडिया से बचते नजर आए थे

मुख्यमंत्री आवास में बैठक के बाद ज्यादातर विधायक और मंत्री मीडिया से बचते हुए निकल गए थे. कुछ विधायकों और मंत्रियों ने मीडिया का जवाब दिया था. लेकिन उन सभी के जवाब सामान्य और रटे रटाए लग रहे थे. उनके जवाबों से लग रहा था कि उन्हें बैठक में क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है इसके बारे में बताया गया था.

विकल्प के तौर पर सीएम की पत्नी कल्पना आगे

भारत निर्वाचन आयोग का फैसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ आने पर अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. इसमें सबसे आगे मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन का नाम सामने आ रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस, झामुमो और राजद इनके नाम पर हामी भर चुके हैं. अब बस निर्वाचन आयोग के फैसले का इंतजार है.