पटना(PATNA): बिहार में नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ दिया और महागठबंधन के साथ मिल कर सरकार बना ली है. सरकार बनने के बाद से बीजेपी और महागठबंधन में जुबानी जंग तेज हो गई है. दोनों दल अपनी-अपनी बात रख रहे हैं. नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. इसी बीच पूर्व डिप्टी सीएम और वर्तमान राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने एक इंटरव्यू के दौरान नीतीश कुमार पर बयान दिया. उन्होंने तीन वजह बताया जिस कारण से नीतीश कुमार ने भाजपा का दामन छोड़ महागठबंधन से हाथ मिला लिया.

पहला : नीतीश कुमार की महत्वकांक्षा

सुशील मोदी ने बताया कि नीतीश कुमार की महत्वकांक्षा काफी बड़ी हो गयी थी. वो केंद्र की राजनीति में आना चाहते थे. नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति बनना चाहते थे. लेकिन भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया. जिसके बाद से ही नीतीश भाजपा से नाराज चल रहे थे.

दूसरा : लालू परिवार की सत्ता की बेचैनी

साल 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन को 110 सीट पर जीत हासिल हुई थी. महागठबंधन सरकार बनाने से महज 12 सीट कम रह गई थी. बावजूद इसके राज्य में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर निकली थी. उन्होंने कुल 75 सीट पर जीत दर्ज किया था. वहीं, भाजपा को 74 सीट पर जीत मिला था. ऐसे में आरजेडी सत्ता में आते-आते रह गयी थी. हालांकि बहुमत नहीं होने के बावजूद उन्होंने कई स्थानीय पार्टी और निर्दलीय विधायकों से बात की, मगर सरकार बनाने में सफल नहीं हो पाए. तो ऐसे में आरजेडी के मन में सरकार बनाने की बेचैनी थी. वहीं, नीतीश साल 2025 में चुनाव नहीं लड़ेंगे तो आरजेड़ी उनके साथ चुनाव लड़कर तेजस्वी को बतौर मुख्यमंत्री चेहरा खड़ा कर सकती है.

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तीसरा : ललन सिंह को केंद्र में मंत्री नहीं बना पाना

दरअसल, नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति पद के साथ-साथ ललन सिंह को केंद्र में मंत्री बनाना चाहते थे. लेकिन भाजपा इस पर भी राजी नहीं हुई. इस कारण से भी जदयू भाजपा से नाराज चल रही थी. जिसके बाद नीतीश ने ये निर्णय लिया. आपको बता दें कि सुशील मोदी नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे हैं. दोनों ने लंबे समय तक मिलकर बिहार की राजनीति की है. ऐसे में उनके बताये तीन कारणों की चर्चा बिहार की सियासी गलियारी में हो रही है और लोग इसे काफी गंभीरता से ले रहे हैं.