रांची(RANCHI) : प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन Hizb ut-Tahrir झारखंड में आतंक मचाने वाला था. एक बड़े नेता की हत्या की साजिश रची जा रही थी. शांत पड़े झारखंड के धनबाद में अंदर ही अंदर एक गहरी पठकथा लिखी जा रही थी. जिसका मकसद था की हत्या करने के बाद दंगे की आग में इलाके को झोंक देना. लेकिन समय रहते आतंकियों की गिरफ्तारी हुई और अब पूछताछ में कई खुलासे हो रहे हैं. हत्या की वारदात को अंजाम देने के लिए हथियार भी खरीद लिया गया था, बस समय का इंतजार हो रहा था.
दरअसल धनबाद से गिरफ्तार हुए आतंकी अम्मार याशर इसका मास्टरमाइंड निकला है. उसके फोन से जो खुलासे हुए हैं उसे देखकर एटीएस चौंक गई है. याशर के मोबाइल को एटीएस ने रिकवर किया. तमाम चैट सामने आए, जिसमें एक गहरी साजिश का खुलासा हो गया. अम्मार कितना कुख्यात है, यह भी पता चला है. उसने एक ऐसी साजिश रच डाली थी जो पूरी हो जाती तो झारखंड में बड़ा बवाल देखने को मिलता. अम्मार याशर ने एक बड़े हिंदू नेता या संघ से जुड़े नेता की हत्या की साजिश रची थी. फोन चैट से यह जानकारी एटीएस को मिली है. इसके बाद एटीएस ने जांच तेज कर दिया है.
Hizb ut-Tahrir तहरीर आतंकी संगठन से पहले याशर इंडियन मुजाहिदीन का मुजाहिद था, और 2014 में इसके गिरफ्तारी भी हुई थी. 10 साल जेल काटने के बाद 2024 में वापस निकलकर आया. फिर अपने घर धनबाद पहुंचा. धनबाद के भूली ओपी क्षेत्र के शमशेर नगर में रहता था और यहां एक घर से आतंकी साजिश को तैयार कर रहा था.
जानिए अम्मार याशर तक एटीएस कैसे पहुंची
26 अप्रैल को धनबाद के वासेपुर समेत कई ठिकानों पर एटीएस ने रेड मारी. एटीएस को सूचना मिली थी कि प्रतिबंधित आतंकित संगठन से जुड़े लोग सक्रिय हैं, और देश में कोई बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहे हैं. यह सब पहलगाम हमले के बाद हो रहा था. लेकिन जब रेड हुई तो वासेपुर से चार लोगों की गिरफ्तारी हो गई. इसमें गुलफाम हसन, अयान जावेद, शहजाद आलम और शबनम परवीन का नाम सामने आया. इसके बाद सभी से पूछताछ शुरू हुई और पूछताछ में अम्मार का नाम सामने आ गया. उसके बाद वापस से एटीएस ने रेड किया और इसे हिरासत में ले लिया. यह इतना शातिर था कि उसने फोन को तुरंत भर में क्लियर कर दिया था ताकि कोई साक्ष्य नहीं मिले. लेकिन अब जब डेटा रिकवर हुआ है तो सभी खुलासे सामने आये है.
रिपोर्ट-समीर
Recent Comments