धनबाद (DHANBAD) : कोयले की राजधानी धनबाद, सरकार को जीएसटी देने में राज्य का तीसरा बड़ा शहर धनबाद, पर्यावरण प्रदूषण से परेशान धनबाद, के पास अभी तक अपना एक इंसीनरेटर यूनिट नहीं है. धनबाद से उत्सर्जित बायो मेडिकल वेस्ट एक निजी कंपनी के रहमोकरम पर निस्तारित होता है. निस्तारण करने वाली कंपनी पैसा तो लेती है लेकिन काम अपनी मनमानी और सुविधा के अनुसार करती है.
रामगढ़ की कंपनी अभी कराती है काम
रामगढ़ की बॉयोजेनेटिक नामक यह कंपनी धनबाद सहित छह जिलों में अकेला एकाधिकार के साथ काम करती है और बायो मेडिकल वेस्ट उठाकर निस्तारित करती है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि अगर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का अपना इंसीनरेटर यूनिट हो जाए तो एक साल के अंदर पूरी लागत ज़िले के विभिन्न नर्सिंग होम के बायोवेस्ट को जलाकर प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन ऐसा किया नहीं जा रहा है.
अपनी यूनिट लगे तो बढ़ेगी आमदनी
अस्पताल के अधीक्षक अरुण कुमार बरनवाल कहते हैं कि हाल ही में धनबाद आई विधान सभा निवेदन समिति से उन्होंने निवेदन किया है कि अस्पताल को अपनी इंसीनरेटर यूनिट लगाने की अनुमति दी जाए. अगर यूनिट शुरू हो जाती है तो एक साल में पूरी लागत निकल जाएगा. हालांकि, यह मामला अभी सरकारी फाइलों में एनओसी के कारण उलझा हुआ है. कब तक अनुमति मिलेगी, मिलेगी भी कि नहीं, यह कहना अभी कठिन है. अस्पताल का बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारित करने के लिए प्रति माह कंपनी को अभी डेढ़ लाख से अधिक का भुगतान होता है. फिर भी कंपनी खुशामद करने पर ही बायो मेडिकल वेस्ट उठाती है. शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्राचार्य डॉ (प्रो )ज्योति रंजन प्रसाद का कहना है कि मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी को देखते हुए 100 किलो की क्षमता वाली एक इंसीनरेटर पहले वाले स्थान पर बनाने की तैयारी है. इसे लेकर सीपीडब्लूडी ने एक प्रस्ताव तैयार किया है. पहले से बेकार पड़े इंसीनरेटर की जगह ही नई यूनिट स्थापित की जाएगी. इधर धनबाद नगर निगम के पास बायो कचड़ा निष्पादन को लेकर अपनी कोई सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नहीं है.
मेडिकल वेस्ट प्लांट के लिए जमीन पहले से है चिन्हित
हालांकि, धनबाद निगम के उप नगर आयुक्त राजेश कुमार सिंह का कहना है कि बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट बनाने के लिए बलियापुर में जमीन चिन्हित कर ली गई है, वहां 10 करोड़ की लागत से वेस्ट डिस्पोजल यूनिट बैठाना है. लेकिन, यह मामला झारखंड प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के एनओसी का इंतजार कर रहा है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा. इसके लिए निगम के पास पर्याप्त राशि उपलब्ध है. कुल मिलाकर कहा जाए तो धनबाद के साथ डेग-डेग पर छल ही होता है. धनबाद में प्रदूषण कितना है, इसका आंकड़ा भी सरकारी संस्थाओं में उपलब्ध है. देश के टॉप 10 प्रदूषित शहरों में धनबाद का नाम शुमार है. फिर भी धनबाद का अपना बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण यूनिट नहीं है और जो है वो पिछले 10 सालों से एक दिन भी इस्तेमाल हुए बगैर सफ़ेद हाथी बन गया है. इसे लेकर किसी जनप्रतिनिधि ने आज तक आवाज़ नहीं उठाई है. बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण की जिम्मेवारी रांची के ही एक निजी एजेंसी को सौंप कर विभाग ने अपने काम से इतिश्री कर लिया है. एक ही एजेंसी को जिस तरह आधा दर्जन जिलों के लिए एकाधिकार के तहत निविदा दी गई है. ये खेल बहुत बड़ा है. जांच होने पर पता चलेगा कि यहां सब गोलमाल है.
रिपोर्ट: अभिषेक कुमार सिंह ,ब्यूरो हेड (धनबाद)
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Amar Tiwari
3 years agoExcellent