चाईबासा (CHAIBASA) - एक ओर जहां आज प्राणवायु यानी ऑक्सीजन देनेवाले पेड़-पौधों के प्रति इंसानी संवेदनशीलता सिमट रही है. वहीं इसके विपरीत समाज में ऐसे लोग भी हैं जो पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण और मानवता की रक्षा का संदेश दे रहे हैं. ऐसे ही एक मशहूर प्रकृति प्रेमी हैं सत्येंद्रनाथ सावैयां. पेड़-पौधों से अगाध प्रेम रखनेवाले सदर प्रखंड के सत्येंद्रनाथ सावैयां ने अपने गांव में ढाई एकड़ जमीन पर एक हजार सागवान पेड़ उगाए हैं. सारे वृक्ष बड़े हो चुके हैं. इसके अलावे सैकड़ों औषधीय गुणवाले पेड़, झाड़ी, फल-फूलवाले पौधे भी उनकी विशाल बगिया में गुलजार हैं.
क्या कहते हैं सत्येंद्रनाथ सावैयां, जानिए
पेड़-पौधे और महकते फूलों के बीच रहनेवाले सत्येंद्रनाथ सावैयां का कहना है कि गितिलपी गांव के सारजोमगुटू टोले में 'रूमुल बोटेनिकल गोल्डेन गार्डेन' नाम की उनकी बगिया है. करीब तीन एकड़ में फैली इस बगिया में एक हजार सागवान पेड़ों के अलावे अन्य बेशकीमती वृक्ष और पौधे लगे हैं. वहीं फलदायी वृक्ष भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं. जिसमें आम, पपीता, आंवला, नारियल, अमरूद, लीची, शरीफा, जामुन, कुसुम, कटहल आदि शामिल हैं. वहीं करंज, अर्जुन, नीम, शेमल, चंदन, ब्लैक, साल, शीशम, पलाश, गम्हार, सुबबुल, कचनार, सहजन, धरतीकमल, उड़हुल बोगनवाली, बेल आदि भी हैं. विभिन्न प्रजाति के रंग-बिरंगे फूलों की क्यारियां भी शोभा बढ़ा रही है. इसके अलावे वे गांववावों को वृक्षारोपण तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित करते रहते हैं और खुद भी इस सलाह पर अमल करते हैं.
पौधारोपण को मानते हैं सर्वोपरि
वैसे तो सत्येंद्रनाथ सावैयां पेशे से सरकारी शिक्षक हैं. जो मध्य विद्यालय कोकचो में पदस्थापित हैं. लेकिन पर्यावरण प्रेम उनके लिए सर्वोपरि है. वे साफ कहते है कि यदि हम पौधे लगाते हैं तो इससे पर्यावरण मनुष्य के अनुकूल रहेगा. जिससे हमें शुद्ध हवा मिल सकेगी जिसके बिना एक पल भी जीवित नहीं रहा जा सकता है. इसलिए हमें जहां भी जगह मिले वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिए. साल 1985 में संत जेवियर्स बालक उच्च विद्यालय से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक उत्तीर्ण करनेवाले सत्येंद्रनाथ सावैयां पिछले अठारह सालों से पेड़-पौधे लगा रहे हैं. उनको इस बगिया से आमदनी भी होती है.
रिपोर्ट : संतोष वर्मा, चाईबासा
Recent Comments