टीएनपी डेस्क(TNP DESK): कहा जाता है कि पिता एक उम्मीद है, आस है. परिवार की हिम्मत और विश्वास है, बाहर से सख्त अंदर से नर्म है. उसके दिल में दफन कई मर्म हैं. इन पंक्तियों का स्मरण आज इसलिए अधिक हो रहा कि आज समूची दुनिया पिता दिवस (Father’s Day ) मना रही है. हमारी भारतीय संस्कृति में सदियों से मां-पिता के महत्व के बारे में बताया जाता रहा है श्रवण कुमार की कहानी आप सभी को पता ही होगी. वाल्मीकि रामायण-अयोध्या कांड में कहा गया है,
न तो धर्मचरण किंचिदस्ति महत्तम।
यथा पितरि शुश्रुषा तस्य वा वचन क्रिया।।
जिसके मायने हैं पिता की सेवा अथवा उनकी आज्ञा का पालन करने से बढ़कर कोई धर्म आचरण नहीं. चलिये आपको बताते हैं कि सह्रस्र वर्षों से हमारे मानस में पिता के महत्व को कैसी मान्यताएं हैं.
भोलेनाथ और कार्तिकेय
कार्तिकेय भोलेनाथ और माता पार्वती के पुत्र थे. इनका पालन-पोषण माता-पिता से दूर एक वन में हुआ था। कहा जाता है कि तारकासुर राक्षस का संहार करने का अधिकार उनको ही प्राप्त था। सभी देवतागण भगवान भोलेनाथ के पास प्रार्थना लेकर पहुंचे कि तारकासुर से वे सभी परेशान हैं, कार्तिकेय को आज्ञा दें कि उसका वध कर दें। भोले बाबा ने तारकासुर को मारने के लिए तुरंत कार्तिकेय को भेज दिया।
उफ्फ तक न किया राम ने
रामायण के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम राम अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र थे। कैकयी के हठ पर उन्होंने जब श्रीराम को वनवास करने को कहा तो राम ने उफ्फ तक न की, तुरंत आज्ञा का पालन किया। हालांकि उसके बाद राजा दशरथ काफी बीमार हो गए और अधिक दिनों तक जीवित नहीं रह सके।
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नीम की पेड़ की तरह पिता
पिता नीम के पेड़ की तरह होते हैं, उसके पते भले ही कड़वे हों पर वो छाया हमेशा ठंडी देते है. पिता के इसी योगदान को याद करते हुए पितृ दिवस मनाया जा रहा है. भारत में फादर्स डे बहुत प्यार से मनाया जाता है. बच्चे अपने पिता को कार्ड, गिफ्ट और फ्लावर देते हैं. कुछ बच्चे अपने पिता के साथ खाना खाने बाहर जाते है. पिता के साथ समय बिताते है. पारंपरिक रुप से फादर्स डे पर गिफ्ट देने की जगह आप इस पल को यादगार बनाने के लिए आप पिता के साथ घूमने भी जा सकते है. जो जगह उन्हें बेहत पंसद है. बता दें कि उन्हें नेचर से प्रेम है, तो किसी हिल स्टेशन पर जा सकते हैं, और एडवेंचर पसंद है, तो उनके साथ मनाली , अन्य जगहों पर जा सकते हैं जहां पैराग्लाइडिंग, पैरा सेलिंग जैसी एक्टिविटीज होती है. हमारी संस्कृति, विचार, परिवरिश, शिक्षा और संस्कार हमें अपने पिता से मिलती है. पिता के बिना इस संसार की कल्पना भी अधूरी है. नसीब वालें हैं जिनके सर पर पिता का हाथ होता है, जिद भी पूरी होती है, अगर पिता का साथ होता है.
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