खूंटी(KHUNTI): क्या आपने कभी सुना है कि गांव में एक भी लोग नहीं रहते हैं. पूरे गांव की आबादी जीरो हो और उस गांव को सरकारी कागजों में राजस्व ग्राम का दर्जा प्राप्त हो. चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं राजस्व ग्राम का मतलब क्या होता है. ‘राजस्व गांव भारत में एक छोटा प्रशासनिक क्षेत्र होता है. जिसकी सुस्पष्ट परिभाषित सीमा होती है. एक राजस्व गांव में कई गांव शामिल हो सकते हैं. प्रत्येक राजस्व गांव का नेतृत्व गांव प्रशासनिक अधिकारी द्वारा किया जाता है’. बावजूद इसके ना तो उस गांव में एक घर है ना ही कोई वहां रहते है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं झारखंड के शूंटी जिला की. जिला के रनिया प्रखंड की जयपुर पंचायत अंतर्गत बिरहोर चुआं गांव की.
पहले रहते थे लोग
यह गांव है चुआं. मिली जानकारी के अनुसार इस गांव में बिरहोर आदिम जनजाति के लोग रहते थे. इस गांव में चुआं( छोटा जगह जहां पानी होता जमा होता है) था, जिसका प्रयोग बिरहोर समुदाय के लोग पीने के लिए करते थे. इसलिए इस गांव का नाम भी बिरहोर चुआं पड़ा था. ऐसी जानकारी मिली की यहां के लोग कई दशक पहले ही गांव छोड़कर चले गए और फिर आजतक वापस नहीं आए. हालांकि वो कहां गए और क्यों गए इसकी जानकारी नहीं स्पष्ट हो पायी है.
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क्या कहते हैं सरकारी अधिकारी
आसपास के इलाके के लोग बताते है कि वहां केवल मिट्टी के बर्तन और शवों के कंकाल हैं. इसके आलावा और कोई जानकारी नहीं है. वहीं, सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि हम इसे कागजों पर बेचिरागी बता देते हैं. इसके अलावा इस गांव में कोई भी सरकारी काम नहीं होता है क्योंकि यहां कि अबादी जीरो है.
क्या होता है बेचिरागी गांव
दरअसल, बेचिरागी गांव उस गांव को कहते है, जहां चिराग जलाने की मनाही हो यानी की आग या किसी के रहने पर मनाही हो. उसे बेजिरागी गांव कहते हैं. वहीं, बात अगर खूंटी जिला की करें तो यहां कुल दो बेचिरागी गांव हैं. एक रनिया प्रखंड का बिरहोर चुआं. जिसकी आबादी शून्य है. क्षेत्रफल 207.75 हेक्टेयर है. दूसरा खूंटी प्रखंड का छोटा बांडी के नाम से एक राजस्व ग्राम है. जहां कोई भी निवास नहीं करता है.
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