धनबाद (DHANBAD: कोयलांचल की जमीन के नीचे आग धधक रही है और पिछले 6 दशक से भी अधिक समय से जमीन के ऊपर रंगदारी एवं दबंगई की खेती लहलहा रही है. यह कभी कम गति से तो कभी तीव्र गति से चलती ही रहती है. जानकार बताते हैं कि विधायक स्व. सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद कोयलांचल पर यूपी के बाहुबलियो की नजर गई. इसके पीछे भी यहीं के लोगों का हाथ बताया जाता है. लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए यूपी के बाहुबलियों से संपर्क किया और फिर उन्हें कोयले की रंगदारी में हिस्सा मिलने लगा. इस तरह यूपी के बाहुबली कोयलांचल से जुड़ते गए.
यूपी के डॉन बृजेश सिंह , मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी (अब स्वर्गीय) जैसे लोगों का नाम धनबाद से जुड़ता रहा और उनके समर्थक यहां रंगदारी वसूलते रहे. यूपी के डॉन बृजेश सिंह जेल से बाहर आ गए हैं. मुख्तार अंसारी तो अभी जेल में ही है लेकिन बृजेश सिंह के बाहर आने के साथ ही कोयलांचल के तापमान में उतार -चढ़ाव की संभावन से इंकार नहीं किया जा सकता है.
2003 में प्रमोद सिंह की हत्या के बाद बदला समीकरण
आपको बता दें कि 2003 में प्रमोद सिंह की हत्या के बाद कोयलांचल का समीकरण बदल गया और एक समय के सिंह मेन्शन के समर्थक बृजेश सिंह खिलाफ हो गए. 2003 में प्रमोद सिंह हत्याकांड में सूर्यदेव सिंह के बड़े बेटे राजीव रंजन का नाम आने के बाद वह धनबाद से फरार हो गए और उसके बाद उनका कुछ भी पता नहीं चला. उसके बाद आरोप लगा कि बृजेश सिंह ने राजीव रंजन को गायब कराया है, सच्चाई चाहे जो भी हो लेकिन उसके बाद से बृजेश सिंह और सिंह मेंशन की अदावत जग जाहिर होने लगी. जानकार बताते हैं कि बृजेश सिंह यूपी में अपना ठिकाना बदल कर ओड़िसा के भुनेश्वर में बिल्डिंग का काम कर रहे थे , वहां उन्होंने अपनी पहचान छुपा रखी थी लेकिन दिल्ली एसटीएफ की टीम ने सूर्यदेव सिंह के दूसरे बेटे संजीव सिंह की निशानदेही पर भुवनेश्वर से बृजेश सिंह को गिरफ्तार कर लिया. इस कार्रवाई को लोग बदले की भावना के चश्मे से देखने लगे. उसके बाद से बृजेश सिंह जेल में ही थे. यह अलग बात है कि वह राजनीति में भी आ गए और विधान परिषद का सदस्य भी बने.
2001 में बृजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला बोला था
जानकार बताते हैं कि 2001 में बृजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला बोला था और उसके बाद से ही बृजेश सिंह लापता हो गए थे. कहते हैं कि उसके बाद से वह भुवनेश्वर चले गए थे और वही अपना कारोबार कर रहे थे. लेकिन 2009 में दिल्ली एसटीएफ की टीम ने भुवनेश्वर से गिरफ्तार कर लिया. इस गिरफ्तारी में पूर्व विधायक संजीव सिंह की बड़ी भूमिका बताई जाती है ,जो अभी अपने चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या के आरोप में जेल में है. इस वजह से भी दोनों में अदावत बढ़ गई थी. अब जब बृजेश सिंह बेल पर बाहर आये हैं तो कोयला क्षेत्र की गतिविधियों पर भी असर पड़ेगा ,ऐसा जानकार मानते हैं. मुन्ना बजरंगी तो अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की अदावत जग जाहिर है. यह बात भी सच है कि बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी का गैंग बिखर गया है. आपको बता दें कि बृजेश सिंह के तत्कालीन विधायक सूर्यदेव सिंह से गहरे ताल्लुकात थे. यह बात भी सच है कि सूर्य देव सिंह जब तक जीवित रहे बाहर के बाहुबलियों ने कोयलांचल पर नजर उठाकर देखने की हिम्मत नहीं की लेकिन उनके निधन के बाद यह सिलसिला चल निकला. सूर्यदेव सिंह की पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से अच्छे रिश्ते थे और जब भी सूर्यदेव सिंह पर कोई आफत आयी, चंद्रशेखर धनबाद जरूर पहुंचे. 1990 में प्रधानमंत्री बनने के बाद चंद्रशेखर सिंह मेन्शन भी गए थे.
बिंदेश्वरी दुबे के दौर से शुरू हुआ माफिया का बुरा दिन
आपको बता दें कि धनबाद के माफिया के बुरे दिन तब शुरूहुए जब पंडित बिंदेश्वरी दुबे बिहार के मुख्यमंत्री बने. उन्होंने धनबाद में उपायुक्त के पद पर मदन मोहन झा को भेजकर माफिया पर शिकंजा कसने की पूरी कोशिश की. उसके बाद भागवत झा आजाद जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भी इस अभियान को आगे बढ़ाया लेकिन जब उनके बाद सत्येंद्र नारायण सिंह मुख्यमंत्री बने, उसके बाद से यह अभियान ढीला पड़ने लगा था. बुजुर्ग यह भी बताते हैं कि सत्येंद्र नारायण सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद धनबाद के माफिया खुशियां मनाये थे. बाहर हाल बृजेश सिंह के जेल से बहार आने के बाद धनबाद के मजबूत घरानो की परेशानी बाद सकती है. दबी जुवान से लोग इसकी चर्चा भी कर रहे है.
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