टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : पूरा देश 26/11 की बरसी मना रहा है. 26/11 एक ऐसी तारीख है जो जब भी किसी के जहन में याद आता है तो रूह कांप उठती है. आज इस घटना को हुए 13 साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी देशवासी इस हमले से पूरी तरह नहीं उबर पाए हैं. इस हमले में किसी के पिता की जान गई तो किसी के मां की, किसी के बेटे की तो किसी की बेटी की, किसी के पति की तो किसी के पत्नी की. क्या बच्चे, क्या बुड्ढे, क्या पुरुष और क्या महिला इस हमले में हर किसी ने जान गवाई. आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सविधान दिवस के मौके पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने भी सबसे पहले 26/11 हमले में शहीद हुए पुलिसकर्मी को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने इस मौके पर कहा कि 26/11 हमारे लिए बहुत ही बुरा दिन भी रहा है क्योंकि हमारे दुश्मनों ने इसी दिन आतंकी हमलें को अंजाम दिया था. प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कई और नेताओं ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
26/11 हमले की वह कहानी जिसे हर भारतीय भूलना चाहेगा
भारत देश में हुए सबसे बड़े आतंकी हमलों की जब कभी बात होगी तो 26/11 को हमेशा ही सबसे बड़ा हमला माना जाएगा. पाकिस्तान के लाहौर से समुद्री रास्ते से आए 10 आतंकवादियों ने सबसे पहले मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन को अपना टारगेट बनाया. दो आतंकवादी स्टेशन के अंदर घुस कर अंधा-धुंध फ़ायरिंग करने लगे. इससे पूरे स्टेशन पर अफरा-तफरी मच गई. इस हमले में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हुए. इन दो हमलावरों में से एक का नाम अजमल कसाब था जिसे फांसी दी जा चुकी है. खबर मिलते जैसे ही पुलिस स्टेशन पर पहुंची. तब तक दक्षिणी मुंबई के लियोपोल्ट कैफे को भी आंतकियों ने अपना निशाना बना लिया. इस कैफै में हुई गोलीबारी में 10 विदेशी लोग मारे गए. वहीं गोलीबारी के निशान आज भी इस कैफै के दीवारों पर मौजूद हैं.
ताज होटल और ओबेरॉय ट्राइडन्ट होटल को भी बनाया निशाना
इस भयावह हमले की कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी. आतंकवादियों ने स्टेशन, कैफै और सड़कों के बाद मुंबई के सबसे नामचीन होटल ताज को अपना निशाना बनाया. आतंकवादियों ने होटल ताज के साथ ओबेरॉय होटल और नरीमन हाउस को भी अपना निशाना बनाया. हमले के समय ताज में 450 और ओबेरॉय में 380 मेहमान मौजूद थे. आतंकवादियों ने इन होटलों में भी अंधाधुंध फ़ायरिंग करते हुए की मासूम लोगों की जान ले ली. ताज होटल की बिल्डिंग से निकलते धुएं ने हमले की पूरी कहानी बयां कर दी थी. इस पूरे हमलें में 160 से ज्यादा लोगों की जाने गई. वहीं 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. मृतकों में कई विदेशी नागरिक भी थे.
तीन दिनों तक चला था ऑपरेशन
आतंकवादियों को मार गिराने और हमले में फंसे लोगों को बाहर निकालने में सुरक्षाबलों को तीन दिनों तक ऑपरेशन चलाना पड़ा. सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ चलती रही. गोलियों के चलने और बम धमाके की लगातार आवाजें गूंज रही थी. लंबे चलते ओपेरेयटीऑन के साथ सुरक्षाबलों की उम्मेद भी जवाब दे रही थी. इस हमले के कारण भारत के साथ-साथ पूरे दुनिया की नजर भी ताज, ओबेरॉय और नरीमन हाउस पर टिकी हुई थी. इस हमले में मुंबई एंटी टेररिज़म स्क्वाड के चीफ हेमंत करकरे और एक एनएसजी कमांडो सहित कई पुलिसवाले भी शहीद हुए थे.
26/11 से सीख लेने की जरूरत
मुंबई में हुए 26/11 के इस हमले ने देश को भविष्य में होने वाले आतंकवादी हमलों से सावधान जरूर कर दिया. इस हमले के बाद देश में कई जांच एजेंसियों का गठन किया गया. सुरक्षाबलों की मुस्तैदी भी इस हमले के बाद बढ़ी है. इसी मुस्तैदी का नतीजा है कि इस हमले के बाद देश में आतंकवादी हमलों में कमी आई है. सभी की यही प्रार्थना है कि 26/11 जैसा कायराना और दर्दनाक हमला कहीं भी ना हो.
Recent Comments