रांची(RANCHI): अपनी कविता शेर और शायरी से लोगों को दीवाना और पागल बनाने वाले स्वनामधन्य कुमार विश्वास रांची पहुंच गए हैं. वे झारखंड विधानसभा स्थापना दिवस कार्यक्रम में बुधवार की शाम को शामिल होंगे. झारखंड विधानसभा सचिवालय की ओर से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम की कड़ी में आज कविता पाठ होगी. कुमार विश्वास अपनी रचनाओं से दर्शकों को विश्वास दिलाएंगे कि उनमें आखिर क्यों है इतना दम. साहित्य जगत की इस धरोहर को सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. रांची एयरपोर्ट पहुंचने पर कुमार विश्वास का आयोजन प्रतिनिधि और अन्य लोगों ने स्वागत किया.

कौन हैं कुमार विश्वास?

वैसे तो कुमार विश्वास किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. लेकिन जानकारी के बता दें कि वे एक कवि, गायक, राजनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता और आजकल उन्हें एक कथा वाचक के तौर भी जाना जाता है. कुमार विश्वास एक कवि बनने से पहले हिन्दी के असोसिएट प्रोफेसर रह चुके हैं. उनकी कविता “कोई दीवाना कहता है” को सभी लोग पसंद करते हैं. कवि के रूप में ख्याति प्राप्त करने के बाद वे अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़े, भ्रष्टाचार विरोधी इस आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इस आंदोलन को बड़ी कामयाबी भी मिली. इस कामयाबी के बाद उन्होंने अपने दोस्त अरविन्द केजरीवाल के साथ मिलकर एक राजनीतिक पार्टी बनाई. इस पार्टी का नाम ‘आम आदमी पार्टी’ रखा गया. पहले ही चुनाव में इस पार्टी को जनता का प्रचंड समर्थन मिला. मगर, कुछ सालों में ही कुमार विश्वास का अरविन्द केजरीवाल से मतभेद हो गया और उन्होंने राजनीति छोड़ दी. राजनीति छोड़ने के बाद वे पुनः वापस कविता पाठ में लग गए.

कुमार विश्वास के बारे में कहा जाता है कि युवाओं को कविताओं की ओर रुख कराने वाले वे पहले कवि हैं. उनकी प्यार वाली कविताओं को सुनने सबसे ज्यादा युवाओं की ही भीड़ उमड़ती है.

उनकी कुछ कविताएं हैं.......   

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!   


भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा  !!


खुद को आसान कर रही हो ना
हम पे एहसान कर रही हो ना

ज़िन्दगी हसरतों की मय्यत है
फिर भी अरमान कर रही हो ना

नींद, सपने, सुकून, उम्मीदें
कितना नुक्सान कर रही हो ना

हम ने समझा है प्यार, पर तुम तो
जान-पहचान कर रही हो ना  


खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना
इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना !!


दौलत ना अता करना मौला, शोहरत ना अता करना मौला
बस इतना अता करना चाहे जन्नत ना अता करना मौला
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो


मावस की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है,
जब दर्द की काली रातों में गम आंसू के संग घुलता है,
जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं,
जब घड़ियाँ टिक-टिक चलती हैं,सब सोते हैं, हम रोते हैं,
जब बार-बार दोहराने से सारी यादें चुक जाती हैं,
जब ऊँच-नीच समझाने में माथे की नस दुःख जाती है,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है।


मॉग की सिन्दूर रेखा तुमसे ये पूछेगी कल,
यूं मुझे सर पर सजाने का तुम्हें अधिकार क्या है।
तुम कहोगी वो समर्पण बचपना था तो कहेगी,
गर वो सब कुछ बचपना था तो कहो फिर प्यार क्या है।


एशिया  के  हम  परिंदे , आसमा  है  हद  हमारी ,
जानते  है  चाँद  सूरज , जिद  हमारी  ज़द  हमारी ,
हम  वही  जिसने  समंदर  की , लहर  पर  बाँध  साधा ,
हम  वही  जिनके  के  लिए  दिन , रात  की  उपजी  न  बाधा,
हम  की  जो  धरती  को  माता , मान  कर  सम्मान  देते ,
हम  की  वो  जो  चलने  से  पहले , मंजिले  पहचान  लेते ,
हम  वही  जो  शून्य  मैं  भी , शून्य  रचते  हैं   निरंतर ,
हम  वही  जो  रौशनी  रखते , है  सबकी  चौखटों   पर ,
उन  उजालो  का  वही , पैगाम  ले  ए  है  हम ,
हम  है  देसी  हम  है  देसी  हम  है  देसी ,
हा  मगर  हर  देश  छाए  है  हम !!