टीएनपी डेस्क(TNP DESK): कहते हैं ना इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपने सिर्फ वो होते हैं जिससे आपका मतलब होता है या तो उनको आपसे मतलब होता है. और इसी मतलब की वजह से ना जाने कितने लोग बेमौत मारे जाते हैं. दरअसल, ठंड का मौसम शुरू हो गया है और कई लोग इसे त्योहार की तरह एंजाय कर रहे हैं लेकिन इस हंसती खेलती दुनिया के अलावा एक और अलग दुनिया बसती है जिसे ज्यादातर लोग देखते तो है लेकिन ऐसा प्रतीत करते हैं और करवाते हैं कि उन्होंने कुछ देखा ही नहीं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं ठंड के दिनों में हजारों की संख्या में फुटपात पर सोते हजारों-लाखों लोगों की. ठंड की वजह से हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. जिसकी चिंता ना तो सरकार को है और ना ही उनके परिवार को है.

मजबूरी में फुटपात पर सोने को मजबूर लोग

दरअसल, ज्यादातर वो लोग फुटपात पर सोते हैं जिनका अपना घर नहीं होता है या वो बाहर से मजदूरी करने आते हैं. ज्यादातर लोग दिनभर काम करते हैं और रात को सो जाते हैं. लेकिन ज्यादातर केस में लोगों के पास ठंड से बचने के लिए कंबल नहीं होता है तो कोई नशे में इतने धुत रहते हैं कि उनको किसी भी चीज की जरूरत नहीं होती है. और यही कारण रहता है कि ठंड के दौरान काफी नशेड़ियों की मौत हो जाती है.

सरकार भी नहीं लेती उनकी सुध

बता दें कि सरकार की ओर से भी इन लोगों के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की जाती है. हालांकि, कागजों में कई सार्वजनिक जगहों पर अलाव जला दिया जाता है. ताकि लोगों को थोड़ी राहत मिले लेकिन ये सिर्फ कुछ जगहों पर ही संभव हो पाता है.

कंबल वितरण में भी होती है देरी

दरअसल, सरकार की ओर से ठंड के दिनों में बेसहारा और बुजुर्ग लोगों के बीच कंबल का वितरण किया जाता है लेकिन जब तक कंबल का वितरण किया जाता है तब तक बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है. दरअसल, सरकारी काम भगवान भरोसे चलती है और यही वजह है कि जब तक लोगों के बीच कंबल पहुंचता है लगभग-लगभग ठंड खत्म हो जाती है.