पाकुड़(PAKUR): 2023 में जिस गोड्डा-पाकुड़ नई रेल लाइन परियोजना को मंज़ूरी मिली थी, वह अब तक धरातल पर उतर नहीं पाई है.  यह सिर्फ एक रेल लाइन नहीं, बल्कि पाकुड़, हिरणपुर और आसपास के हज़ारों सपनों की डगर है — जो अब भी समय की चौखट पर दस्तक दे रही है.

1400 करोड़ की यह परियोजना पाकुड़ को जंक्शन के रूप में नया जीवन दे सकती है. यह इलाके के युवाओं के लिए रोज़गार का नया रास्ता बन सकती है, व्यापार के लिए नई साँसे ला सकती है, और दूर-दराज़ के गांवों को देश के मुख्य धारे से जोड़ सकती है. लेकिन आज भी लोग गोड्डा से पाकुड़ तक बसों की धूल फाँकने को मजबूर हैं. हर रोज़ इस परियोजना की राह ताकती आंखें, एक ही सवाल करती हैं — कब आएगी वो ट्रेन, जो हमारे गांवों में रौशनी और रफ़्तार लेकर आएगी? यह रेल लाइन अगर समय पर बनती है, तो यह सिर्फ स्टील की पटरियां नहीं बिछेंगी, बल्कि उम्मीद, तरक्की और आत्मसम्मान की नई बुनियाद रखी जाएगी.

इस परियोजना में सिर्फ पटरियां नहीं बिछनी थीं, बल्कि एक पूरे इलाके का भविष्य संवरना था. लेकिन सवाल आज भी वही है — अब सवाल यह है की"जब मंज़ूरी मिल चुकी, तो काम शुरू क्यों नहीं हुआ ?"

पाकुड़/नंद किशोर मंडल