गुमला(GUMLA): सुप्रीति कच्छप का चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में करते हुए कहा कि बहुत ही साधारण और गरीब परिवार से आने वाली सुप्रीति के द्वारा खेलो इंडिया के तहत 3000 मीटर दौड़ में 4 साल पहले बने नेशनल रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 9.46.14 मिनट का समय लिया गया. पहले यह रिकॉर्ड सुप्रीति के ही सीनियर और हिमाचल प्रदेश के खिलाड़ी सीमा के नाम था] उनके द्वारा 9.50 मिनट का समय 3000 मीटर की दौड़ के लिए लिया गया था. फिलहाल दोनों एक साथ भोपाल सेंटर फॉर एक्सीलेंस में एक साथ अभ्यास करती हैं. इस दरमियान सुप्रीति के द्वारा रिकॉर्ड तोड़ने के बाद बताया गया कि इवेंट से पहले मेरी तबीयत काफी खराब थी क्योंकि वहां इंतजाम सारे ठीक थे, लेकिन खाना सही नहीं मिला. जिस वजह से पेट में दर्द हो गया था और पेट भी खराब हो गया था. सुप्रीति ने कोच प्रतिभा से कहा था कि मैम मुझे लगता है कि मैं चल भी नहीं पाऊंगी लेकिन कोच के हौसला के बाद वह दौड़ने लगी और दौड़ने के दरमियान पेट में दर्द भी हुआ लेकिन उसके बाद भी इस रिकॉर्ड को सुकृति ने पूरा किया था.

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सुप्रीति के पास नहीं है बढ़िया जूता

सुप्रीति ने बताया कि सेंटर फॉर एक्सीलेंस में अभ्यास खाना रहना सब कुछ मुफ्त है, लेकिन पढ़ाई व दौड़ से संबंधित जूते व कई अन्य चीजें का जरूरत पूरा करने के लिए घर से पैसा मांगना पड़ता है या फिर पूर्व परिचित के आगे हाथ फैलाना पड़ता है.  सुप्रीति ने बताया कि उसके पास बढ़िया जूता तक नहीं है जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब दौड़ के लिए मैं जाऊंगी तो शायद मुझे इस बात की कमी खलेगी.  यहां बता दें कि 2 अगस्त से 7 अगस्त तक सुप्रिति अंडर 20 विश्व कप खेलने कोलंबिया जा रही है.

झारखंड सरकार ने भी नहीं दिया अब तक 4 लाख रुपया

दसवीं क्लास में प्रथम स्थान लाने वाली सुप्रीति 2017 में एथलेटिक में आई बेहतर करने पर 2018 से अभ्यास के लिए भोपाल स्थित सेंटर फॉर एसिलेशन में चयन भी हो गया, लेकिन आज भी सुप्रीति झारखंड के तरफ से ही खेलती है. झारखंड सरकार की ओर से लाई गई खेल नीति के मुताबिक ऐसे खिलाड़ियों को कैश अवार्ड के रूप में सरकार के द्वारा 4 लाख दिया जाना है लेकिन आज तक सुप्रीति को एक भी रुपया नहीं दिया गया.

लॉकडाउन के दरमियान 2 साल सुप्रीति गांव में माड़ भात और साग खाकर करती रही अभ्यास

कोरोना महामारी को लेकर जब पूरे देश में लॉकडाउन लग गया था. तब सुप्रीति कच्छप अपने घर भोपाल से परिवार वालों से मिलने आई थी. जिसके बाद लॉक डाउन लग जाने के कारण वह यहीं पर फंस गई.  लॉकडाउन के दरमियान भी सुप्रीति लगभग 2 वर्ष तक गांव के ही सड़कों में दौड़कर अभ्यास करती रही. इस दरमियान उसे बेहतर डाइट नहीं मिला. घर में ही माड़ भात व साग खाकर वह सुबह शाम अभ्यास करती रही. लॉकडाउन के दरमियान भी ना तो राज्य सरकार ने हीं कोई खोजबीन किया और ना ही जिला प्रशासन ने कोई पहल मजबूरी में सुप्रीति अपना अभ्यास अपने दम पर जारी रखा.

रिपोर्ट: सुशील कुमार /गौतम साहू , घाघरा, गुमला