टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड सरकार लगातार राज्य के खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए अपनी योजनाओं का दम भरती है. कई खिलाड़ियों को बेहतर ट्रेनिंग के लिए विदेश भी भेजने की बात कही जाती है. मगर, सरकर के ये सारे दावे तब खोखले नजर आते हैं जब देश के लिए मेडल जीतनेवाले खिलाड़ियों की सुध नहीं ली जाती.
हम बात कर रहे हैं देश के लिए 13 राष्ट्रीय मेडल जीतने वाली सुप्रीति की. सुप्रीति झारखंड के गुमला जिले के घाघरा प्रखण्ड के बुरहू गांव की रहने वाली हैं. सुप्रीति एक एथेलीट हैं. उन्हें एक शानदार धावक के रूप में पूरी दुनिया जानती है. वह देश के लिए खेलती हैं और देश का नाम रौशन करती हैं. उनकी प्रतिभा के बारे में देश के प्रधानमंत्री तक बात कर चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में 26 जून को उनकी सरहाना की थी. उनकी प्रतिभा के सम्मान में झारखंड सरकार ने 4 लाख रुपए पुरस्कार देने की घोषणा की थी. सुप्रीति जल्द ही वर्ल्ड कप खेलने वाली हैं. सभी को उनसे पदक की उम्मीद है. वह 2 से 7 अगस्त 2022 तक कोलंबिया में आयोजित वर्ल्ड कप में दौड़ लगाएंगी.
वर्ल्डकप में दौड़ने के लिए जूते तक नहीं
ये तो बार रही उनकी प्रतिभा की. अब बात करते हैं उनकी हालत की और सरकार के खोखले वादों की. सुप्रीति को वर्ल्डकप में दौड़ लगाना है. सभी चाहते हैं कि वो मेडल जीत कर लाएं. मगर, दुख की बात ये है कि सुप्रीति के पास पहनने के लिए जूते तक नहीं है. पहले जो जुता था, वह अब फट चुका है. मगर, वह अपनी पीड़ा किससे कहें, उनकी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीति ने बताया कि सेंटर फार एक्सीलेंस में अभ्यास, खाना, रहना सबकुछ फ्री में मिल जाता है. मगर, पढ़ाई और दौड़ से संबंधित जूते और की चीजें नहीं है. इन सब कहेज के लिए घर से पैसा मांगना पड़ता है. मगर, परिवार की आर्थिक स्थित भी ठीक नहीं है. ऐसे में किसी परिचित के आगे हाथ फैलाना पड़ता है. ऐसे में वह फटा हुआ जूता पहन कर दौड़ने को मजबूर हैं.
राज्य सरकार की नीति यहां फेल हुई
झारखंड सरकार ने अपने खिलाड़ियों के लिए खेल नीति बनाई है. इस नीति के तहत राज्य की ओर से प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को सरकार चार लाख रुपए इनाम दिया जाता है और साथ में नौकरी भी दी जाती है. सरकार ने सुप्रीति को इनाम देने का एलान भी किया है. मगर, बावजूद सरकार की ओर से कोई राशि सुप्रीति को अबतक नहीं मिली है. इसे समझा जा सकता है कि सरकार के दावों में कितनी सच्चाई है.
Recent Comments