धनबाद(DHANBAD) : धनबाद का राजगंज डिग्री कॉलेज, इस कॉलेज में पिछले कुछ दिनों से पढ़ाई कम और लड़ाई अधिक हो रही है. दो विधायक के समर्थक आमने-सामने है. सूत्र बताते हैं कि एक विधायक हैं, कॉलेज शासी निकाय के अध्यक्ष मथुरा प्रसाद महतो तो दूसरे विधायक जयराम महतो है. दावा तो यह भी किया जा रहा है कि दोनों विधायक बोल कुछ नहीं रहे है, लेकिन विवाद को खाद-पानी दे रहे है. इस विवाद में रुचि ले रहे है. दो विधायकों के पावर की लड़ाई की वजह से राजगंज डिग्री कॉलेज के प्राचार्य कक्ष में अभी भी ताला बंद है. 

दोनों विधायकों के प्रभारी प्राचार्य पद के अपने-अपने कैंडिडेट 

विश्वविद्यालय के निर्देशों का भी उल्लंघन हो रहा है. सूत्र बताते हैं कि दोनों विधायकों के प्रभारी प्राचार्य पद के अपने-अपने कैंडिडेट है. उन कैंडिडेट पर विश्वविद्यालय मुहर लगा दें, इसको लेकर चालें चली जा रही है. कहा जा रहा है कि नियम के अनुसार शासी निकाय की बैठक में विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि की मौजूदगी जरूरी होती है. लेकिन पिछले कई बैठकों में यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए और शासी  निकाय अपने ढंग से निर्णय लेता रहा. 

कॉलेज के व्याख्याता और कर्मचारी दो गुटों में बट गए है
 
दरअसल, कॉलेज के व्याख्याता और कर्मचारी दो गुटों में बट गए है.  एक गुट  विधायक मथुरा महतो का समर्थक है तो दूसरा डुमरी  विधायक जय राम महतो का सपोर्टर है. नतीजा है कि  विवाद सुलझ नहीं रहा है.  शिक्षा का यह मंदिर राजनीति का अखाड़ा बन गया है. यह भी कहा जा रहा है कि प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति ही यह बताएगी कि दोनों विधायकों में से भारी कौन रहेगा. वैसे, यूनिवर्सिटी के एक सूत्र ने बताया कि यूनिवर्सिटी भी अब राजगंज कॉलेज के विवाद से अजीज आ गया है. वह अपना सुझाव देने के बजाय निर्णय लिया है कि शासी निकाय की बैठक में जो नाम तय होंगे, उस पर ही विश्वविद्यालय अपनी मोहर लगा देगा. 

प्रभारी प्राचार्य का चयन ही बताएगा, कौन रहा भारी 
 
अगर ऐसा हुआ तो विधायक मथुरा महतो का पक्ष मजबूत होगा, लेकिन क्या विधायक जयराम महतो इसे बहुत आसानी से स्वीकार कर लेंगे. यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है. इस बीच पता चला राजगंज डिग्री कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर लगभग 15 दिनों से चल रहे विवाद के समाधान के लिए पंचायत प्रतिनिधियों का एक प्रतिनिधिमंडल टुंडी के विधायक और कॉलेज शासी  निकाय के अध्यक्ष मथुरा प्रसाद महतो से मुलाकात की है. प्रतिनिधिमंडल ने पूरी बात बताई, पंचायत प्रतिनिधियों ने मांग की है कि प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति में पारदर्शिता बरती  जाए, चयन में योग्यता एवं पात्रता का ध्यान रखा जाए.  जिससे कि शिक्षक और कर्मियों में फैले असंतोष को दूर किया जा सके. देखना दिलचस्प होगा कि प्रभारी प्राचार्य की कुर्सी कब तक "म्यूजिकल चेयर" बनी रहती है. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो