Tnp sports:- ताकत और जोर के खेल पहलवानी इस साल काफी सुर्खियों में रही, वजह पदक जीतने को लेकर नहीं थी. बल्कि बगावत, बवाल और विरोध को लेकर रही. देश को पदक दिलाने वाले पुरुष और महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ जोरदार लड़ाई का बिगुल फूंका और यह घमासान साल भर चलता रहा. पहलवानों के गुस्से के शिकार होने के बाद भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. हालांकि, इसके बाद भी पिक्चर बाकी थी. क्योंकि कुश्ती संघ का चुनाव बृजभूषण शरण के ही करीबी संजय सिंह जीत गए. इके बाद तो तनातनी और लड़ाई चरम पर पहुंच गई. दिग्गज पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास का एलान कर दिया. उसके बाद बजरंग पुनिया और पैरा एथलीट वीरेद्र सिंह ने पद्मश्री लौटाने की घोषणा कर दी. इस तरह की हलचले औऱ घमासान आगे तेज होता. इससे पहले खेल मंत्रालय ने एक बड़ा एक्शन ले लिया और पहलवानों के गुस्से की भड़की आग पर पानी उड़ेल दिया.
कुश्ती संघ को किया निलंबित
किसी ने नहीं सोचा था कि खेल मंत्रालय इतना बड़ा कदम उठायेगी, उसने कुश्ती संघ को ही निलंबित कर दिया. इसके साथ ही नये चुने गए अध्यक्ष संजय सिंह के लिए गये सारे फैसले को रद्द कर दिया. इस निलंबन के पीछे नियमों की अनदेखी बताई जा रही है. नवनिर्वाचित निकाय ने पहलवानों को तैयारी के लिए पर्याप्त नोटिस दिए बिना अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आय़ोजन की जल्दबाजी में घोषणा की थी. इस संबंध में खेल मंत्रालय के ही एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि नए निकाय ने डब्लूएफआई संविधान का पालन नहीं किया है. हमने फेडरेशन को समाप्त नहीं किया है, बल्कि अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है.
निलंबन की वजह ये भी
अंदरखाने से मिली जानकारी के मुताबिक निलंबन की वजह ये भी रही. संजय सिंह को जिस दिन अध्यक्ष चुना गया था उसी दिन उन्होंने घोषणा कर डाली थी कि कुश्ती के लिए अंडर-15 और अंडर-20 के राष्ट्रीय मुकाबले नंदिनी नगर, गोंडा (यूपी) में आयोजित कराए जायेंगे. इधर डब्लूएफआई के संविधान की प्रस्तावना के खंड 3(ई) के अनुसार, डब्लूएफआई का मकसद अन्य बातों के अलावा कार्यकारी समिति द्वारा चयनित स्थानों पर यूडब्ल्यूडब्ल्यू नियमों के अनुसार सीनियर, जूनियर और सब जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करने की व्यवस्था करना है.
कुश्ती संघ का चुनाव
गुरुवार 21 दिसंबर को कुश्ती संघ के चुनावों के नतीजे आए थे. इस चुनाव में 15 पदों में से 13 पर बृजभूषण सिंह के समर्थित उममीदवारों ने जीत दर्ज की. जिसमे अध्यक्ष संजय सिंह नवनिर्वाचित हुए. उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपध्यक्ष वाराणसी के संजय सिंह को 40 वोट मिले, जबकि उनके सामने राष्ट्रमंडल खेलों की विजेता पहलवान अनीता श्योराण को 7 मत पड़े थे. अनीता को आंदोलनकारी बंजरग पुनिया, विनेश फोगट और साक्षी मलिक का समर्थन हासिल था.
आखिर क्या था पूरा मामला
इस पूरे मामले की शुरुआत कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के चलते हुई. हटाने के लिए 18 जनवरी 2023 को विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया समेत कई पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे थे. पहलवानों ने कई गंभीर आरोप बृजभूषण पर लगाए, लेकिन, उन्होंने अपने पद से हटने से इंकार कर दिया था. विरोध प्रदर्शन कई हफ्तों तक चलता रहा, काफी बवाल बढ़ने के बाद खेल मंत्रालय हरकत में आया. मंत्रालय ने कुश्ती संघ से 72 घंटे के अंदर आरोपों पर जवाब देने के लिए नोटिस भेजा. इसके जवाब में संघ ने तमाम आरोपों को बेबुनियाद ठहराया और कहा कि उनके पास यौन उत्पीड़न का एक भी आरोप नहीं आया है.
बृजभूषण सिंह पर FIR
एथलिटों ने आंदोलन के दौरन ही बृजभूषणष सिंह के खिलाफ शिकायत दी थी. लेकिन, एफआईआर नहीं हुई . इसके बाद सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज किया था. हालांकि, बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी और इस्तीफा को लेकर पहलवानों का धरणा जारी रहा. इस दौरान खाप पंचायत और किसानों संगठनों ने भी पहलवानों के समर्थन में उतरकर साथ दिया. विरोध औऱ गुस्सा तो साफ देखने को मिल रहा था, क्योकिं कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी. आखिरकार 7 जून को पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की, छह घंटे तक चली बातचीत के बाद अनुराग ठाकुर ने कहा कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जारी जांच 15 जून तक पूरी कर ली जाएगी. खिलाड़ियों ने इस तारीख को चार्जशीट दाखिल करने की मांग की थी. इसके अलावा एक मांग ये भी थी कि बृजभूषण सिंह और उनसे जुड़े लोग संघ में चुनकर न आएं. पहलवानों ने किसी महिला को कुश्ती संघ का अध्यक्ष बनाए जाने की मांग भी की थी.
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