धनबाद(DHANBAD) : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सब ने अपनी "राजनीतिक चाल" तेज कर दी है. चिराग पासवान ने भी अपने दौरे बढ़ा दिए हैं, तो महागठबंधन की ओर से भी हमले तेज किए जा रहे है. आप पार्टी ने बिहार के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. प्रशांत किशोर भी ताल ठोक रहे है. महागठबंधन में भी सीटों के बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर जारी है.  चिराग पासवान एनडीए में है, तो उनके चाचा पशुपति पारस के महागठबंधन में शामिल होने की पूरी संभावना है.  ऐसे में 2025 के विधानसभा चुनाव में चाचा -भतीजे की भी राजनीतिक परीक्षा होगी.  इधर, चिराग पासवान की गतिविधियों को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं और असमंजस बनी हुई है.  

चिराग पासवान की सभाओं से चर्चा का बाजार गर्म 

बताया जाता है कि रविवार को यानी 6 जुलाई को चिराग पासवान की बिहार के छपरा में रैली होगी.  यह बीजेपी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी का इलाका है. इसके बाद चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री और जदयू नेता ललन सिंह के इलाके में सभा करेंगे ,फिर जीतन राम मांझी के इलाके गयाजी में रैली होगी.  चिराग पासवान की लगातार हो रही सभाओं को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है.  उनकी सभाओं का सिलसिला 8 जून को आरा से शुरू हुआ था. इसके बाद 29 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के राजगीर  में दलित वर्ग को साधने के लिए बहुजन भीम  समागम किया था.  

चिराग पासवान की 6 जुलाई को छपरा में होगी सभा 

अब 6 जुलाई को उनकी छपरा के  राजेंद्र स्टेडियम में रैली है.  लोजपा रामविलास ने इसे नव संकल्प महासभा  नाम दिया है.  इधर, यह भी कहा जा रहा है कि एनडीए के घटक दल चिराग पासवान की  लोजपा  और जीतन राम मांझी की पार्टी ,दोनों के बीच खींचतान चल रही है.  दोनों ही पार्टियां  दलितों को केंद्र में रखकर अपनी राजनीति करती है.  हाल के दिनों में जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के बीच खींचतान साफ दिख रहा है.  इनकी बयानबाजी से चर्चाओं का बाजार गर्म है.  हालांकि हाल ही में चिराग पासवान ने मनमुटाव को खत्म करने की पहल करते हुए कहा था  कि जीतन राम मांझी उनके पिता के समान है और उनकी सभी बातें आशीर्वाद की तरह लगती है.  

वीआईपी  पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी का मन भी डोल  रहा

इधर, सूत्र बताते हैं कि महागठबंधन के हिस्सेदार और वीआईपी  पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी का मन भी डोल  रहा है. उन्होंने कहा है कि चुनाव के पहले प्रधानमंत्री निषादों को दलित जैसा आरक्षण दे दें, तो मैं भी मोदी के लिए प्राण दे दूंगा, साथ में यह भी  जोड़ा कि महागठबंधन की सरकार में मैं डिप्टी सीएम बनूंगा, 60 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. निश्चित रूप से उनकी यह बातें महा गठबंधन को असहज  कर दिया होगा.  इधर, जीतन राम मांझी और चिराग पासवान की पार्टी भी दलितों की राजनीति को लेकर आमने-सामने होती दिख रही है. इधर, बिहार विधानसभा में वोटो के बिखराव को रोकने के लिए ओवैसी की पार्टी उतावली दिख रही है.  लेकिन लालू प्रसाद यादव की पार्टी सीट देने को तैयार नहीं लग रही ही.  

ओवैसी की पार्टी को लेकर राजद  प्रवक्ता ने क्यों कही यह बात 

राजद  प्रवक्ता मनोज झा का कहना है कि अगर ओवैसी बीजेपी को हराना चाहते हैं, तो वह बिहार में चुनाव नहीं लडे.  दूसरी ओर ओवैसी की पार्टी के बिहार अध्यक्ष और इकलौते विधायक खुलकर कह रहे हैं कि इस बार राजद , कांग्रेस, लेफ्ट और वीआईपी के महागठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ना चाहते है. इसके लिए उन्होंने लालू प्रसाद यादव को चिट्ठी भी लिखी है. हालांकि शुक्रवार को पटना में राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि ओवैसी का आधार हैदराबाद में है. उन्होंने कहा कि कभी-कभी चुनाव नहीं लड़ना भी मदद करना होता है. अगर ओवैसी बीजेपी को हराना चाहते हैं तो चुनाव नहीं लड़े. खैर, जो भी हो बिहार की राजनीति में खिचड़ी पक रही है.  सभी उसमें नून- तेल डालने की कोशिश कर रहे है. लेकिन असली खिचड़ी क्या पकती है ,इसके लिए अभी प्रतीक्षा करनी होगी. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो