देवघर (DEOGHAR) : सात समंदर पार से आए पाहुन पक्षियों की अठखेलियां देवघर को लुभा रही हैं. स्थानीय लोग इस नजारे की मोहकता पर फिदा हैं, वहीं मेहमान पक्षियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित भी. एक उम्मीद की किरण भी आंखों में फैल रही कि पाहुन पक्षी का आना इलाके में समृद्धि के नए दरवाजे भी खोल सकता. दरअसल आस-पास के क्षेत्रों के प्राकृतिक सौंदर्य और यहां की आबोहवा से आकर्षित हो कर प्रत्येक वर्ष सर्दी के मौसम में यहां के छोटे-बड़े ताल-तालाबों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं. हज़ारों मील की दूरी तय कर यहां पहुंचने वाले इन प्रवासी पक्षियों के कलरव से इन ताल-तालाबों की खूबसूरती बढ़ जाती है. प्रत्येक वर्ष यहां पहुंचने वाले इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में हो रही वृद्धि को देखते हुए अब ऐसे ताल-तालाबों को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने की मांग उठ रही है.

रंग-बिरंगी विदेशी पक्षियों का मनोरम नजारा

प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से गुंजायमान हो रहा यह है देवघर प्रखंड के नोखिल गांव का तालाब. खास बात है कि प्रत्येक वर्ष सर्दी के मौसम की आहट के साथ ही ये पाहुन पक्षी साइबेरिया और मध्य एशिया के देशों से हज़ारों मील की दूरी तय कर  यहां पहुंचते हैं. सर्दी बढ़ने के साथ ही देवघर के दर्जनों तालाब इन खूबसूरत रंग-बिरंगी विदेशी पक्षियों से भर जाते हैं. लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण स्थानीय ग्रामीणों को ही इनकी सुरक्षा का जिम्मा उठाना पड़ता है. रघुवर सरकार में पर्यटन मंत्री रहे अमर बाउरी अपने कार्यकाल में खुद इस स्थल का निरीक्षण करने आये थे और इसे एक योजना बना कर विकसित करने की बात कही थी. लेकिन 2 वर्ष से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी इस तालाब का सौंदर्यीकरण नहीं हुआ. स्थानीय विधायक नारायण दास अब पिछली सरकार के निर्णय को धरातल पर उतारने की मांग कर रहे हैं. इसके लिए विधायक संबंधित विभाग के मंत्री सहित सूबे के मुख्यमंत्री से मिलकर इसको विकसित करने की योजना पर फिर से प्रकाश ध्यान आकर्षित करवाएंगे.

रोज़गार का जरिया

देवघर की पहचान एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल के साथ मनोरम पर्यटन स्थल के रूप में भी रही है. खास कर जाड़े के मौसम में बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों से पर्यटक यहां के पर्यटन स्थल के भ्रमण के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में विदेशी रंग-बिरंगी पक्षियों से भरा तालाब उनके लिए एक अलग आकर्षण का केंद्र बन सकता है. पर्यटन के साथ यह स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार का भी जरिया भी साबित हो सकता है.

रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर