टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : भूख चेहरों पर लिए चांद से प्यारे बच्चे/बेचते फिरते हैं गलियों में गुब्बारे बच्चे… सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक छोटे से बच्चे की तस्वीर देख कर सहसा किसी शायर की ये पंक्तियां सहसा जेहन में आ जाती हैं. यह छोटा सा बच्चा चाक पर तेजी से मिट्टी के दीए बनाते दिख रहा है. उम्र बस उतनी ही है, जब कलम पकड़ने का भी सलीका नहीं होता है. जिंदगी का मतलब बस खिलौने, तितलियां और राजा रानी की कहानियां होती हैं. इस नन्हीं सी उम्र में भूख और बाजार की चिंता में चाक घुमाते इस बच्चे की तस्वीर देख कर लोगों का दिल पसीज रहा.
भावुक हुए लोग
यह वीडियो बहुत वायरल हो रहा. इसे ट्विटर पर शेयर करते हुए आईपीएस अधिकारी रुपीन शर्मा लिखते हैं, इस दीवाली पर मुझे याद रखा. इसी तरह एक अन्य सोशल साइट पर शेयर करते हुए इप्शिता लिखती हैं, बच्चे, पक्का रहा. माटी के दीप से ही रोशन होगा घर अपना. एक अन्य ने मुन्नवर राना की पंक्तियां याद की- फरिश्ते आकर उनके जिस्म पर खुश्बू लगाते हैं/वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं.
एक संकल्प दीप
दीवाली की तैयारी के लिए जहां घर में लोगों ने कमर कस ली है, वहीं त्यौहार से जुड़े कुटीर उद्योगों में भी आस का दीप जल चुका है. ऐसी ही आस कुम्हारों के परिवार में भी नजर आती है जो अभी से दीए, सजावटी सामान और मिट्टी के खिलौने बनाने लगे हैं. यह कमाई पहले उनके लिए साल भर की खुराक सुनिश्चित कर देती थी. पर अब बाजार में लड़ी-झड़ी और चायनीज बल्बों की इतनी किफायती वेरायटी और सुविधाजनक चीजें उपलब्ध हैं कि इस चकाचौंध में मिट्टी के मासूम से दीए कहीं खो से गए हैं. द न्यूज पोस्ट का आग्रह है कि इस दीवाली जब आप घर को रोशन करने के लिए सजावट के सामान खरीदने निकलें तो इस बच्चे की तस्वीर जरूर याद रखेंगे. दाम में तोड़-मोड़ किए बिना एक खूबसूरत मुस्कान के साथ माटी के दीप लाएं और देहरी पर सजाएं.
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